गुंडो ने गाडी में अरनव का चेहरा , ऊपर से गर्दन तक पूरी तरह एक काले कपड़े से ढंक दिया था | और वो दोनो गुंडे उसे उस शहर के बिलकुल बाहर , एक सुनसान जगह पर ले गए |
वहाँ उस सुनसान जगह पर एक ही घर बना हुआ था | वो घर काफी बड़ा था | आस - पास दूर - दूर तक बस खेत ही खेत थे | वो शायद किसी का घर या फार्म हाउस था |
वो दोनों गुंडे अरनव को उठाकर , उस घर में अंदर ले जाते है |
थोड़ी देर बाद ' अरनव ' को होश आता है | उसका चेहरा अभी भी काले कपड़े से ढंका हुआ था | इसलिए अरनव को कुछ भी दिखाई नही दे रहा था | कि वो अब कहाँ है ?
होश में आने के बाद अरनव हिलने की कोशिश करता है | लेकिन उसके दोनों हाथ और दोनों पैर , पीछे की ओर रस्सी से बंधे हुए थे | इसलिए उस समय अरनव ; अंदर से बहुत डरा हुआ था |
अरनव फिर भी हिलने की कोशिश करता है | वो उस समय ये महसूस कर रहा था | कि वो जहाँ भी है | वो जगह पूरी तरह खाली है | उसके आस - पास शायद कुछ भी नही है |
क्यूंकि , अरनव के जरा से हिलने पर भी उस जगह पर आवाज बहुत गूंज रही थी |
अरनव : - " कोई है ? मुझे इस तरह क्यूं लाया गया है ? कौन हो तुम लोग । और मुझसे क्या चाहते हो ? मुझे जाने दो "
तभी अरनव को किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है | जैसे - कोई इंसान उसकी तरफ आ रहा हो | या वो अरनव के जैसे आस - पास ही था | और फिर उसे किसी एक आदमी के हंसने की आवाज आती है |
अरनव बुरी तरह कांप रहा था | तभी कोई आदमी अरनव के पैरो की रस्सी खोल देता है | और उसे उठाकर दीवाल के सहारे बिठा देता है |
अरनव : - " तुम कौन हो ? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? प्लीज मुझे छोड दो | "
अरनव को बिठाने के बाद कोई आवाज नही आ रही थी | उसके साथ आगे क्या होने वाला था | कुछ नही पता था , लेकिन वो जानता था | कि इस वक्त जब भले ही उसके आस - पास पूरी तरह सन्नाटा है | फिर भी कोई तो है ! जो उसके अभी भी पास ही है |
" हे भगवान ! में कहा सारिका दीदी के यहाँ जा रहा था | और ये लोग मुझे यहाँ ले आए | हो ना हो ये देविका की ही चाल है | उसका मुझे कल मोबाइल फोन देना ! में समझ ही नही पाया | "
अरनव मन ही मन ; देविका की चाल के बारे में सोच रहा था | तभी एक आवाज होती है ! जैसे किसी ने फर्श पर कुछ गिराया हो | और उसी समय किसी ने अरनव के चेहरे से , वो काला नकाब हटाया |
इससे पहले कि अरनव सामने का कुछ भी देख पाता , कोई उसके चेहरे पर तेजी से पानी फेंकता है | और फिर कोई जोर - जोर से हंसने लगता है |
अरनव जैसे - तैसे अपनी आँखे खोलता है | और देखता है कि उसके सामने दो लोग थे | अरनव के ठीक सामने थोड़ी दूरी पर , वहाँ चेयर पर एक सांवला सा आदमी बैठा हुआ था | और वही अरनव को देखकर हंस रहा था |
वहीं दूसरा आदमी भी उसके पास , हाथ मे एक पानी की बाल्टी लेकर खड़ा हुआ था |
अरनव ने आज से पहले , उन दोनों आदमियों को कभी नही देखा था | फिर उसने अपने आस - पास देखने की कोशिश की | अरनव उस वक्त एक बहुत बड़े और पूरी तरह खाली कमरे में बैठा हुआ था |
और उसे ऐसा लग रहा था । जैसे वहाँ कन्स्ट्रकशन का काम चल रहा हो | क्यूंकि वो घर पूरी तरह बना हुआ नही था |
तभी चेयर पर बैठा आदमी अरनव से कहता है |
" अच्छे से देख लो अपने चारो ओर | यहाँ दूर - दूर तक तुम्हें बचाने वाला कोई नही है | "
और फिर वो दोनो ही जोर - जोर से हंसने लगते है |
अरनव : - " कौन हो तुम ? और मुझसे क्या चाहते हो ? मुझे क्यूं किडनेप किया है तुमने ? "
" इसका कारण तुम्हारी पत्नी है | तुम जानते हो कि में कौन हूँ | "
और फिर ये कहते हुए चेयर पर बैठा आदमी ! खड़ा होकर अपने पेंट की जेब में दोनो हाथ डालकर , धीरे - धीरे अरनव की ओर बढ़ते हुए उस के पास आता है | और थोड़ा नीचे झुककर बैठते हुए , अरनव की आँखो मै आँखे डालकर कहता है |
" में वही हूँ ! जिसके साथ रहने के लिए तुम्हारी पत्नी बहोत बेताव है | "
अरनव : - " विकास ! क्या तुम ही विकास हो ? "
" हाँ ! तुमने सही समझा । में ही विकास हूँ ! जिसके साथ तुम्हारी पत्नी देविका रहना चाहती है | और आज तुम्हारी इस हालत की जिम्मेदार भी वही है | "
ये कहकर विकास वहाँ से उठकर , अरनव से बांते करते हुए इधर - उधर घूमने लगता है |
अरनव : - " लेकिन मैंने तो उसे कब का कह दिया था । कि वो अगर तुमसे प्यार करती है और तुम्हारे साथ रहना चाहती है | तो मेरी तरफ से आजाद है : वो जा सकती है | फिर वो खुद ही नही आयी I "
विकास : - " हाँ ! क्यूंकि मैंने ही उसे मना किया था । "
अरनव : - " लेकिन देविका ने तो कहा था ! कि वो तुमसे प्यार करती है | और तुम भी तो उसे चाहते हो । "
अरनव की इस बात पर ! विकास जोर से हंसते हुए कहता है |
" उसे भी यही लगता है । कि मैं उससे प्यार करता हूँ | "
अरनव : - " तो क्या तुम नहीं करते ? "
विकास : - " आज में तुम्हें ! एक राज की बात बताता हूं | "
विकास , अरनव के सामने चेयर पर बैठ जाता है |
" तुम्हारी पत्नी बहोत बड़ी बेवकूफ है | मेंने उससे कभी भी प्यार नहीं किया | में शुरूआत से ही उसे सिर्फ इसतेमाल कर रहा था | अपनी इच्छाओ के लिए | और वो हर तरह से मेरे कंट्रोल मे थी |
मेरी हर बात मान जाती है | और अभी भी वो मेरा ही काम कर रही है | तुम्हारी प्रॉपर्टी मेरे नाम . . . . . "
अरनव : - " लेकिन खुशी तो तुम्हारी बेटी है ना | "
विकास : - " हाँ ! उसे ये विश्वास दिलाने के लिए कि में उससे अपनी शादी के बाद भी प्यार करता हूँ । बस इसलिए . . . . .
और वो तुम्हारे जैसे इंसान को छोड़कर , मेरे पास आ रही हैं | मुझ जैसे गुंडे के पास , जो जब चाहे देविका जैसी न जाने कितनी , अपने आगे - पीछे खडी कर सकता है | "
अरनव : - " लेकिन मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है | मुझे इस तरह यहाँ क्यूं लाए हो ? "
विकास : - " इतनी भी जल्दी क्या है अरनव ? सब कुछ जानने की | सब्र करो फिर सब पता चल जाएगा | "
ये कहकर विकास वहाँ से जाने लगता है | तब पीछे से अरनव रोते हुए कहता है |
" विकास मुझे छोड़ दो ! प्लीज मुझे जाने दो | "
अरनव को विकास की बातों से साफ पता चल रहा था | कि विकास के इरादे ठीक नहीं है | और वो देविका को भी वेवकूफ बना रहा है |
विकास के जाते ही , वहां खड़ा दूसरा आदमी ! तुरंत ही अरनव को एक इंजेक्शन लगाता है | जिससे कुछ ही सेकेन्ड्स में अरनव बेहोश हो जाता है |
उधर देविका स्कूल से घर आ जाती है | और आते ही अरनव को चारो ओर देखती है | देविका जानती थी ! कि उसके स्कूल जाते ही अरनव के साथ क्या होने वाला है |
तभी देविका के मोबाइल फोन की रिंग बजती है | देविका फोन रिसीव करते हुए . . . .
" हेलो ... विकास ! काम हुआ ? "
विकास : - " हाँ ! काम हो गया है | तुम तैयार रहना शाम से अपना काम शुरू करने के लिए | जैसा मैंने कहा है ! ठीक वैसे ही करना है तुम्हे | मुझे कोई गडबड नहीं चाहिए | "
देविका को फोन कर विकास , अरनव की किडनेपिंग के बारे मे बताता है | और उसे प्लानिग के मुताबिक आगे का काम ठीक से करने के लिए कहता है |
देविका : - " हाँ ! मुझे याद है | "
देविका कॉल कट कर देती है | एक तरफ देविका को अरनव के लिए मन में हलका सा डर लग रहा था | क्यूंकि वो अच्छे से जानती थी ! कि विकास उसे कितना torture करने वाला था |
बहुत देर तक देविका उस वक्त अपने मन को समझाती है | और फिर थोड़ी देर के लिए सो जाती है | और प्लान के मुताबिक खुद को पूरी तरह से तैयार करती है | क्यूंकि एक भी गलती होने पर विकास उसे नहीं छोड़ेगा |
लेकिन अब और क्या करने वाली थी देविका ?
उधर शाम के 6 बज चुके थे | अरनव पिछले 5 घंटे से इंजेक्शन की वजह से बेहोश पड़ा हुआ था |
लेकिन थोड़ी ही देर बाद , अरनव को होश आ जाता है | और वो अपनी आँखे खोलता है | चारों तरफ उसे अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा था |
अरनव महसूस करता है कि वो जमीन पर सीधा लेटा हुआ है | और उसके दोनों हाथ और पैर , फिर से रस्सी से बंधे हुए थे |
अरनव उठने की कोशिश करता है | लेकिन अब अरनव को थोड़ा भी हिलने पर अपने शरीर में ; बहुत दर्द महसूस हो रहा था | उसका सिर जैसे किसी चीज से टकराने पर दर्द होता है ! वैसा ही दर्द महसूस कर रहा था |
लेकिन बेहोशी का इंजेक्शन देने के बाद ! आखिर अरनव के साथ हुआ क्या था ? और आगे क्या होने वाला था अब उसके साथ ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . . .