शहनाई की गूंज कानों मे रस सा घोल रही थी गोरी के।तेरह साल की गोरी फटाफट सारा घर का काम निपटा रही थी क्योंकि उसे आज अपनी सबसे प्यारी सहेली सत्तों की शादी मे जो जाना था।काम खत्म करके गोरी शादी मे जाने के
*"कम्युनिकेशन गैप"* *सम्पर्क संसर्ग अन्तराल* कल हमने जनरेशन गैप विषय को संक्षिप्त में स्पष्ट किया। आज जनरेशन गैप के विषय के संदर्भ में ही एक और विषय उभर कर आया है। वह विषय है कम्युनिके
लोगों का कहनाजरा सुननाऔरत चाहे तो घर घर स्वर्ग सानिखर जाएऔरत चाहे तो घर को बिखराएघर को सहेजना है औरत के हाथबताए जरा ये भी है कोई बातसच्चाई तो ये है जनाबसभी बने बैठे है नवाबये कैसी है बातऔरत जिए अगर ख
उस समय गांव में पढाई पर ध्यान देने वाले लड़के कम ही होते थे। क्योंकि गांव में लोगों के पास जमीनें होती थी। उस समय खेती का सारा काम हाथ से ही किया जाता था। फसलों के पक जाने पर लोगों को महीनों तक काम कर
मेरे अभिमान हैं पापा ... मेरे शान है पापा ...मेरे दिल के हर कोने में ...बसते है मेरे पापा ...मेरे जिंदगी में आए वो बहार है मेरे पापा ...मैं उनके नाम से पहचानी जाती हूँ ...उनका सपना है कि वो मेरे नाम स
साकेत - ( आदित्य से ) तुम अनिका और सौम्या को लेलो .... और हम ... प्राची और प्रिया को ले लेते है ।🙂आदित्य - okk ... फिर चलो जल्दी से बैठो तुम लोग👨🏻 ( अनिका और सौम्या से कहता है )सौम्या हाँ में सर हि
अनिका अपने दोस्तों से कही साथ में घुमने जाने को कह रही थी और वो ये भी कह रही थी , कि अगर कोई अपने साथ किसी और को भी लेना चाह रहा होगा ,तो वो लेले। हम जितने अधिक होगें । उतना ही मजा 🤗आयेगा । साथ में ख
(भाग-8) कालू की गिरफ्तारी सुबह के सात बज चुके थे। चाची ने आवाज दी। बीना...ओ बीना... बेटा...जल्दी उठ जा। आज तो तुझे कालू को गिरफ्तार करना है और...उदय को घर लाना है। चाची की आवाज सुनकर बीना अनमनी सी उ
(भाग- 7)इंस्पेक्टर बीना की योजना अब इंस्पेक्टर बीना को कालू दादा के ठिकाने का पता लग चुका था। बीना ने उसके गैंग को पकड़ने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले बीना ने अपने साथियों के स
भाग-6इंस्पेक्टर बीना की खोजअब इंस्पेक्टर बीना ने अपनी पूरी टीम तैयार की...और पूरी मुस्तैदी से कालू दादा और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लग गई। हरेक दिन एक-एक गांव का दौरा किया गया...आस-पास के जंगल
(भाग-5) बीना का परिचय जगमोहन और विमला ने उदय, सदय और बीना को सगे बहन भाईयों की तरह ही पाला था। बीना उदय से छोटी व सदय से बड़ी थी। तीन बच्चों से भरा-पूरा परिवार था। साथ में दादी थी
सारा दिन थकान-थकान करके पूरा घर सिर पर उठाए रहती हो । तुम आखिर करती ही क्या हो? बस घर के ये छोटे-मोटे काम और इतने में ही तुम थक जाती हो?ये बात लगभग हर घरेलू महिला को सुनने को मिलती है । सुबह सबसे
आज मैं अपनी मौसी को उनके बेटे लड्डू को पढ़ाते हुए देख रही थी । लड्डू अभी चार साल का है और बहुत शैतान है । मौसी उसे पढ़ाते हुए चिड़चिड़ा जातीं और अक्सर उसे एक-दो थप्पड़ भी रख देतीं क्योंकि वो पढ़ने की बजाय
"मनुष्य की सम्पत्ति ना धन-दौलत है, ना जमीन-जायदाद है,ना पद है, उसकी सच्ची सम्पत्ति तो उसका हँसता-खेलता परिवार, उत्तम स्वास्थ्य, शुभचिंतक मित्र और स्वयं का संतुष्ट मन है।" {98} "बात कढ़वी है
जब मन उदासं हो सब भले ही पास हो , अच्छा नही लगता,,मुझे अच्छा नही लगता। देखता हू मै ,मन के जिस कोने मे, दिया है जो घाव,दिल को बींध कौने मे, छेडे उसे कोई, भले ही सहलाने को, सच बताऊ मै ,मुझे
भाग-4 उदय का जन्मदेखते ही देखते जगमोहन और विमला की शादी को पांच साल बीत गए पर कोई संतान नहीं थी। मुंगेरीलाल लाल ने बहुत से पंडितों को दिखाया। झाड़-फूंक व पूजा-पाठ करवाया पर कोई लाभ नहीं हु
(भाग- 3) जगमोहन का परिचय उदय के पिता जगमोहन बाबू का जीवन बहुत गरीबी में बीता था। पिता मुंगेरीलाल एक साधारण से किसान थे। कच्चा घर था। बालक जगमोहन पिता के साथ खेती में हाथ बटाता...रात में सड़क
रिश्तों की अनमोल डोर होता है परिवार ,, मिलजुलकर जहां रहते हैं सभी प्रेम से वही होता है परिवार.. दादा-दादी नाना-नानी मामा-मामी चाचा-चाची सबका होता है सहयोग और प्यार इसको ही कहते हैं परिवार ,, आजकल सब
उदय का परिवार उदय के पिता श्री जगमोहन शर्मा और माँ विमला शर्मा उदय को समझा-समझा कर थक गए थे... पर उदय पर उनकी बातों का कोई असर नहीं होता था। 29 साल का उदय पूरी-पूरी रात जाग कर दोस्तों के साथ मौज-मस्
होती जो तुम साथ मेरे,,लेकर के मधुर एहसास तेरे,,महकती हवाओ की फिर आती सुगंध,वो तेरे होने की भीनी सी गंध,देती मुझे सुकून और आराम, बन जाती मेरी भी सुनहरी सी शाम।वो चाय की प्याली का