7 जून 2015
115 फ़ॉलोअर्स
कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
अब हर जुबां पर बस एक ही बात है कि हर हाल में ये सूरत बदलनी चाहिए, और बदल कर रहेगी...नारी सिर्फ अपने घर-परिवार का ही नहीं बल्कि देश-दुनिया का गौरव है...और ये गौरव बनाये रखना देश-दुनिया की ज़िम्मेदारी भी है!
8 जून 2015
शालिनी जी बहुत सही बात कही है आपने.. एक तो जब किसी भी नारी के साथ बलात्कार जैसी घटना घटती है तब हमारा खून खौलता है उस पर नेताओं के प्रवचन जलते पर नमक छिड़कने काम करते हैं .. जनता को जागृत करने वाला लेख .. बहुत बहुत धन्यवाद
7 जून 2015
sach likha hai aapne .badhai
7 जून 2015
आपका विचार पूर्ण रूप से सत्य है शालिनी जी।धन्यवाद!!
7 जून 2015
बिल्कुल सटीक विचार हैं
7 जून 2015