हिंदू बच्चे भगवा रंग में तो मुस्लिम बच्चों का हरा रंग
धर्म के आधार पर ड्रेस निर्धारित करने पर सफाई
''…माना अपनी वेशभूषण और बोलियाँ अनेक हैं ,
रीति-रिवाज़ धर्म और जाति ,विचारधारा अनेक हैं ,
पर गूंजती है चहुँ दिशा में दिल की धड़कन एक है … ''
अब ये कहना मुमकिन नहीं क्योंकि अब इस देश में भेदभाव का जहर बच्चों में घोलने का कार्य आरम्भ हो चुका है और वह भी हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ही गृह राज्य से।
अहमदाबाद के शाहपुर में जिस स्कूल में हिन्दू बच्चों की संख्या ज्यादा है वहां बच्चों की यूनिफार्म केसरिया रंग की व् जहाँ मुस्लिम बच्चों की संख्या ज्यादा है वहां हरे रंग की यूनिफार्म निर्धारित की गयी है। भारत जहाँ हमेशा से विभिन्न धर्म संस्कृतियों का मेल मिलाप रहा है ,जहाँ धर्म इबादत की भगवान को पाने की राह का राही रहा है कोई एक दूसरे से दंगा फसाद या भेदभाव की पृष्ठभूमि नहीं। जहाँ साम्प्रदायिकता की आग फ़ैलाने के लिए कलंक झेल रहे हमारे प्रधानमंत्रीजी लालकिले से उच्चस्वर में सभी के साथ चलने की बात करते हैं -
This country has been built on such foundation of ancient cultural heritage, where we were told of only onemantra during Vedic period, which is indicative of our workculture, which we have learnt, we have memorized – “Sangachchhdhvam Samvadadhvam sam wo manansi jaanataam.” We walk together, we move together, we think together, we resolve together and together we take this country forward. Having imbibed this basic mantra, 125 crores of countrymen have taken the nation forward.
इसे केवल बात और भाषण ही कहा जा सकता है और भारत में फ़ैल रही यह सच्चाई इस समय दुनिया के कोने कोने में पहुँच रही है और इसी तरफ इशारा किया था हमारे गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा जी ने ,जिन्होंने कहा था -
On Thursday, in a 25-minute address to the National Prayer Breakfast, President Obama referred to India while talking about religious freedom. "Michelle and I returned from India -- an incredible, beautiful country, full of magnificent diversity -- but a place where, in past years, religious faiths of all types have, on occasion, been targeted by other peoples of faith, simply due to their heritage and their beliefs -- acts of intolerance that would have shocked Gandhiji, the person who helped to liberate that nation," he said.
क्या गलत कहा उन्होंने अगर हम अहमदाबाद के इन स्कूलों के परिप्रेक्ष्य में देखें। शर्म की बात है यह हम हिन्दुस्तानियों के लिए जहाँ फ़िल्में तक आजतक यही सन्देश विश्व में प्रसारित करती आई हैं -
''इंसान का इंसान से हो भाईचारा ,
यही पैगाम हमारा,यही पैगाम हमारा। ''
वहां हमारे अतिथि हमें इस सम्बन्ध में समझ देने की कोशिश करें। भारत के महापुरुषों ने इस देश में ही क्या समस्त विश्व में भाईचारे का सन्देश फैलाया है भाई को चारे के रूप में इस्तेमाल करने का नहीं ,वहां हमें देखना होगा कि हमारी पीढ़ियां आपस में प्रेम का ,सौहार्द का ,समभाव का सन्देश लेकर आगे बढ़ें न कि इस तरह के भेदभाव का। हमें कवि श्रेष्ठ गोपाल दास 'नीरज ' जी की इन पंक्तियों को ध्यान में रख इस सम्बन्ध में सही सोच को अपनाना ही होगा -
''अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाये ,
जिसमे इंसान को इंसान बनाया जाये।
आग बहती है यहाँ गंगा में भी झेलम में भी ,
कोई बतलाये कहाँ जाके नहाया जाये।
मेरे दुःख-दर्द का तुझ पर हो असर ऐसा ,
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाये। ''
शालिनी कौशिक
[कौशल ]