20 मई 2015
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कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
शालिनी जी बहुत सटीक और बढ़िया विचार प्रकट किए हैं आपने । अगर मुझे कोई अब तक के प्रधानमंत्रियों में से काम के आधार पर सर्वोत्तम चयन करने के लिए विकल्प दे तो मैं भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी का ही चुनाव करुंगा। भारत की एक शरीफ और ईमानदार शख्सीयत को शत-शत नमन
23 मई 2015
shat-shat naman rajeev ji ko
21 मई 2015
अति सुन्दर
21 मई 2015
शालिनी जी आपका बहुत बहुत आभार राजीव जी को मेरी तरफ से सात सात नमन
21 मई 2015
शालिनी जी, आपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ...अति सुन्दर सार्थक रचना...आभार !
21 मई 2015