5 अप्रैल 2015
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कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
अति सुन्दर , सार्थक लेख..... आभार,
6 अप्रैल 2015
अच्छी विधिक जानकारी दी है आपने-बहुत बहुत धन्यवाद
5 अप्रैल 2015
ACHCHHI KANOONI JANKARI SE BHARA AALEKH .AABHAR
5 अप्रैल 2015