9 जून 2015
115 फ़ॉलोअर्स
कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
भावपूर्ण एवं सुंदर अभिव्यक्ति
10 जून 2015
sundar v sateek rachna hetu badhai
10 जून 2015
सुंदर भाव पूर्ण कविता! धन्यवाद!
10 जून 2015
अति सुन्दर भावाव्यक्ति !
10 जून 2015
सह रही जो सदियों से तू आज तक उनका साझीदार है यहाँ नहीं...सच कहा आपने...आभार !
10 जून 2015
बहुत सुन्दर
10 जून 2015
बहुत सुन्दर रचना
10 जून 2015