21 जून 2015
115 फ़ॉलोअर्स
कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
राम एवं योग की पक्की उत्तराधिकारी और भारत में संस्कारों की सब से अधिक दुहाई देने वाली पार्टी के राजकाज महाराष्ट्र में दस-दस रुपए की सस्ती व जहरीली शराब पीकर 94 लोग मौत के काल का ग्रास बन चुके हैं तथा 24 नाजुक हैं संस्कारी पार्टी को योग दिवस रद्द करके शोक दिवस मनाना चाहिए था किंतु नहीं गरीबों के ते वोट खरीद लिए जाएंगे उसी जहरीली शराब की सहायता से। बिल्कुल सटीक विचार हैं आपके शालिनी महोदया।
21 जून 2015
अति सुन्दर
19 जून 2015