23 मई 2015
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कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
बिल्कुल सच कहा आपने क्योंकि वर्तमान सरकार केवल भ्रमजाल फैलाने में ही व्यस्त है
24 मई 2015
सच को बयां करता आपका आलेख पढ़कर अच्छा लगा |
24 मई 2015
shri modi ne jo tolism khada tha vo toot raha hai . sarthak aalekh hetu badhai
24 मई 2015
शालिनी जी, ये "काले" अंधों को चश्मे और गंजों को कंघे बेचने में बहुत माहिर हैं. लेकिन इन सौदागरों में मोदी सर कुछ ज्यादा ही माहिर निकले ! यहॉ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, और मोदी सर अन्य देशों को जनता की गाढ़ी कमाई लुटाकर, India Shining का नारा बुलंद कर रहे हैं. यहॉ की जनता भोली भाली जरूर है, लेकिन बेवकूफ नहीं ! जनता का मूड अगले चुनाव में देखने वाला होगा.
24 मई 2015
वाह बहुत खुब!!सुन्दर रचना!!
23 मई 2015