14 फरवरी 2015
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कहते हैं ये जीवन अनेकों रंगों से भरा है संसार में सभी की इच्छा होती है इन रंगों को अपने में समेट लेने की मेरी भी रही और मैंने बचपन से आज तक अपने जीवन में अनेकों रंगों का आवागमन देखा और उन्हें महसूस भी किया .सुख दुःख से भरे ये रंग मेरे जीवन में हमेशा ही बहुत महत्वपूर्ण रहे .एक अधिवक्ता बनी और केवल इसलिए कि अन्याय का सामना करूँ और दूसरों की भी मदद करूँ .आज समाज में एक बहस छिड़ी है नारी सशक्तिकरण की और मैं एक नारी हूँ और जानती हूँ कि नारी ने बहुत कुछ सहा है और वो सह भी सकती है क्योंकि उसे भगवान ने बनाया ही सहनशीलता की मूर्ति है किन्तु ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही सहनशील होती है मैं जानती हूँ कि बहुत से पुरुष भी सहनशील होते हैं और वे भी बहुत से नारी अत्याचार सहते हैं इसलिए मैं न नारीवादी हूँ और न पुरुषवादी क्योंकि मैंने देखा है कि जहाँ जिसका दांव लग जाता है वह दूसरे को दबा डालता है.D
शालिनीजी ,बहुत ही अच्छा प्रकरण उठाया है आपने.मैं जनमानस से क्षमा याचना करते हुए कहना चाहता हूँ कि नारी को अपने मान सम्मान और अस्मिता के लिए स्वयं सचेत रहना होगा.ऐसे विज्ञापन समाज के लिए किसी भी प्रकार से उपयुक्त नही हैं.सरकार को भी ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए.
14 अप्रैल 2015
'किसी विवाह समारोह में शामिल होगी तो चाहे हड्डी कंपाने वाली ठण्ड हो तब भी उसके शरीर पर कोई गरम कपडा नहीं होगा आखिर कब समझेगी नारी?'- यह चयन तो स्वयं नारी ने ही किया है न? पूनम पांडे आज कहाँ हैं और सुनीता विलियम्स आज कहाँ हैं.- पूनम पांडे आज भी धरती पर ही हैं, कन्फर्म है.
18 मार्च 2015
जी हाँ, ये सब पर हम सब को बराबर ध्यान देना चाहिए। आपने बहुत अच्छा संदेश दिया अपने इस लेख में। धन्यवाद
16 फरवरी 2015
सटीक लिखा है आपने .बधाई
15 फरवरी 2015
वाह !शालिनी जी | कितना सटीक और सत्य लिखा है आपने आज की तथाकथित आधुनिक नारी की गलत सोच और मानसिकता पर | सत्य है जब नारी खुद ही अपने महत्व का आधार अपने तेज दिमाग की बजाय अपनी सुन्दर देह को मानती है तथा इसी रूप में अपने को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करती है तो पुरुष भी उसे उसी दृष्टि से देखता है |नारी होकर भी आज की तथाकथित नारी की इस कमजोरी पर प्रहार करके आपने सत्यानुरागी होने का परिचय दिया है |आज की तथाकथित नारी की इसी कमजोरी को मैंने अपनी अग्र लिखित कविता में उजागर किया है - @@@ देह -दर्शना वेश ,करवाता क्लेश- @@@ **************************************************** क्यों कोई नारी होठों पे ,रंग लाल लगाती है ? क्यों अपने उघड़े अंगों से,वासना भड़काती है ?? चुस्त टॉप -जीन पहन कर ,क्यों मर्दों को ललचाती है ? क्यों वो नंगी टाँगे लेकर , टी.वी.शो में आती है ?? प्रसिध्दि के चक्कर में ,वो अधनंगी हो जाती है | नंगी रहती टांगें उसकी ,उगङी रहती छाती है || जब नारी अपने अंगों की , दुकान बाहर लगाती है | तो जवां मर्दों की नजरें ,मोल -भाव करने आती हैं || क्या मर्द है मिट्टी का माधो ,या है वो बाल-ब्रह्मचारी ? जिसकी नजर में माँ -बहन है ,चाहे नंगी हो नारी || भेदभाव किया कुदरत ने ,पर अलग -अलग पहनावा क्यों ? अपने कपड़े खुद उतार कर, दुराचार का दावा क्यों ?? नारी अपना पहनावा बदले ,पहने मर्दों का परिधान | पेण्ट-शर्ट पहन कर नारी ,नारीत्व का खुद रखे मान || नारी बने बहन अगर तो ,मर्द भाई बन जाएगा | अश्लीलता का नंगा नाच , फिर नजर न आएगा || **************************************************
15 फरवरी 2015
रचना महिला सशक्तीकरण हेतु महिलाओं को सही प्रयास करने को प्रेरित करती है-बहुत अच्छा
15 फरवरी 2015