तू ईश्वर की कलाकारी नही तू है महामारी। नशे मे डूबकर क्यो तूं दिखाता है यूं लाचारी।। नशे ने जिन्दगी बरबाद की लूटा है तेरा घर। नशे की फांस मे फंसती तमन्नाएं तेरी हारी। कभी सोचा तू बनना चाहता था क्या बना है तू। सुनले पहचानजा खुदको स्वयंको खोजके ला तू।। नही जीवन मिला तुझको यू ही बर्बाद करने को । तड़पते हैं तेरे अपने वहॉ अब होश मे आ तू।। नशा हो देश भक्ति का नशा हो प्रेम शक्ति का। नशा कुछकर दिखाने का श्रेष्ठ जीवन बनाने का।। नशा मां बाप की ममता नशा हो प्रेम प्रियतम का। धूंए मे क्यो उड़ाता जा रहा वो दुलार अपनो का।।