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प्रथम पूज्य गणपति जी की मूर्ति स्थापना के साथ ही पर्यावरण और हमारी झीलों को खतरनाक रसायनों से बचा

गुरू ब्रम्हा, गुरु विष्णु, गुरु देव महेश्वर

अर्थात शिक्षक ब्रम्हा जी क

पता नही किस्मत में क्या लिखा था। आरती किसी और की हो चुकी थी लेकिन इस तरह आरती का मेरी जिंदगी में

आरती की सहेली स्वाति भी कुछ दिनों तक कोचिंग नही आई। लेकिन जब हफ़्तों के बाद कोचिंग मे स्वाति के दर

मैं हाल से बाहर निकला ही था कि घर के अंदर दरवाजे के पास आरती का भाई जोंटी  दो अन्य लड़को के स

मेरे खुशी की सीमा नही थी। इस तरह से ये मेरा पहला जन्मदिन था। आरती ने मेरे जन्मदिन को सुपर स्पेशल

मैं उस दिन ब्लू कलर की टी-शर्ट, सफेद जीन्स, स्पोर्ट्स शूज, वॉच पहन के 12:35 पर कोचिंग पहुँचा... ब

दो हफ़्तों बाद आरती को क्लास मे देखकर सुकून आया, जान मे जान आया..

दो हफ़्तों मे आरती का सिले

वह दिवाली मेरी जिंदगी की सबसे बेहरतीन दीवाली थी, क्योंकि दीवाली के साथ साथ इतनी बड़ी खुशी जो नसीब

मेरा इंतजार खत्म हुआ और वह दिन आ ही गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था।

मैंने उस दिन आरती

जिस पिता के लिए , 
बेटी शहजादी होती है।
उसका पति उसे अपनी ,

लेटर पढ़ने के बाद मेरी खुशी की सीमा नही थी.. मैंने उस लेटर को अपने अधरो से कई बार स्पर्श किया..खुश

आरती से मिलने की बेचैनी इतनी थी की मुझे नींद भी नही आ रही थी..बिस्तर पर लेटते ही मैं सोचने लगा सु

अब मैं 6वीं की किताबे एकत्र करने मे जुट गया ताकि उन्हें पढ़ कर वार्षिक परीक्षा मे आरती की मदद अच्छ

अगले दिन जब हम स्कूल पहुँचे फिर वैन नही आई थी। मैं पागल सा हो रहा था। मेरे सब्र का बांध टूट रहा थ

आज से ठीक एक वर्ष पहले मैं वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर अपने ट्रेन के इंतजार में बैठा था। ट्रे

सब तीज त्योहार तुमसे हैं,❤️

मेरे सारे मान मनुहार तुमसे हैं,💕

इस परिवारिक मोतियों क

समय हमारा साथी है जो हर दिन हर रात हर सप्ताह हर महीना और फिर हर साल और सालो साल हमारे साथ चलता

मालिक

आंखों को उसका इंतजार करते देखा है,
हां हमने भी खुदको आज तड़पते देखा है!
बोला

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