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समाज

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मैं मजदूर हूं साहब,
मजबूरी में अपना घर और आंगन छोड़ा,
सब अपनो

जमाने में नहीं मिलता, कहीं भी भाईचारा अब।

CHAPTER 1

सुबह की दस बज चुकी थी। लेकिन माया अभी तक नहीं उठी थी। वह ऐसे सोई थी जैसे

वो कहता था , वो कहता है ।
खुली जुल्फे पसंद है उसको ___२
मैं ही नादान थी , द

कच्ची डोरों से बंधे रिश्तो की होती बस इक ही आश है
जीवन के हर एक रिश्ते में होती विश्वास की ह

नंगेली का नाम केरल के बाहर शायद किसी ने न सुना हो. किसी स्कूल के इतिहास की किताब में उनका ज़िक्


कद्रदान  बनिऐ महफिल  के हर एक शख्स की।शा

कुदरत का अनमोल शब्द है दोस्ती 

जो सुख दुख का साथी है दोस्ती

कच्चा सा दिल 
लम्हें नए चुन रहा हैं 

 भुख के










स्नेह सदन शाम&n

कल्याणी जी - स्वाति तुम्हारे ऑफिस के रास्ते में मेकअप करने वाली का घर

पहाड़ों पर बसा मनाली की सुंदरता हर किसी को अपनी ओर खींच लेता ह

जैसी रखो सोच  वैसी दिखेगी ए दुनिया

हमारी सोच कैसी है वो महत्वपूर्

हजारो महेफिल में उसका होना 

मुजे अच्छा लगता है 

मनाली के एक छोटे से शहर में एक छोटा सा मगर सुंदर से सजाया गया घर ,जिस

पता नहीं वो कैसे लोग थे
किसीने की हुई एक मदद के लिये
जनमभर क्रुतज्ञ रहते थे

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