नभ को छूती आपकी हर इक बात है! ज़रा बताओ तो किनसे ताल्लुकात है! मैं तो सिर्फ मिट्टी हूँ आपके पैरों की आप बताइये,भला आपकी क्या बिसात है! फ़कीर के यहाँ नंगे पाँव ही आना होगा क्या हुआ जो आप
इस मकान में अब बाक़ी बचा भी क्या है। साझी तमन्नाएँ जल गई धुँआ ही धुँआ है! मेरे बालों ने तेरे काँपते हाथ महसूस किये लगता है आज फिर तुमने तस्वीर को छुआ है! दीया तो यूँ ही बदनाम हो गया बुझ कर
बुलडोजर की जय जय अनन्त राम
एक दिन एक छोटी सी लड़की अपने पिता को दुख व्यक्त करते-करते अपने जीवन को कोसते हुए यह बता रही थी कि उसका जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुज़र रहा है।साथ ही उसके जीवन में एक दुख जाता है तो दूसरा चला आता है और
वात, पित्त, कफ दोष के कारण , लक्षण , और इलाजवात क्या होती है वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | ‘वात’ या ‘वायु’ यह दोनों ही शब्द संस्कृत के वा गतिगन्धनयो: धातु से बने हैं
जब भी कोई वस्त नई नई लाते हैं तो वह बहुत अच्छी लगती है । यही स्थिति जिंदगी की है जब जिंदगी नई नई मिलती है एक छोटे से मासूम बच्चे के रूप में , तब उसको सब प्यार करते हैं खुशियां बरसाते हैं लगता ही नहीं
साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता के सभी नियमों के अनुसार वीक 27(11अप्रैल 2022 से 17अप्रैल 2022) के सबसे सक्रिय लेखक हैं sangita kulkarni आपको शब्द.इन टीम की ओर से बधाइयां 🎊 सम्बंधित पुरस्कार आपको 1
डायरी दिनांक १८/०४/२०२२ शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । एक पुराना नियम है - आत्मनः प्रतिकूलानि, परेशां न समाचरेत। जो बातें खुद के लिये उपयुक्त न हों, उन्हें दूसरों पर भी लागू नहीं क
18April, special day Good Evening, Today is my birthday, so the day spent by so many surpr
जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥भावार्थ:-जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्
जहाँ भागवत कथा होती है वह स्थान तीर्थ स्वरूप हो जाता है। तद् गृहं तीर्थ रूपम्।महर्षि वेद व्यास ने चार श्लोकों का विस्तार 18 हजार श्लोकों में किया इसीलिए उनका नाम कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वे
उन्हें हमने कितनी हिफाजत से पाल रखा है, तेरे लिए ही हमने खुद को संभाल रखा है.. क्या मेरा पैगाम पहुंचेगा तुम्हारी आंखों में नजर अंदाज करने का जो पर्दा डाल रखा है.. कुछ किए हुए वादों को तुम आज पूरा कर
------ -----गनपत----- (--कहानी अंतिम क़िश्त)( वाली जगह पर काम करने की ज़िम्मे गैस चेम्बर में डालकर उनको मौत का तोहफ़ा देते थे )-- आगे--गारी के रुकते ही दो कर्मचारी गण नीचे उतरे । उनमें से एक कर्मचारी को
जिस भी ने जीवन मे कभी भी कोई भी गलती नहीं की समझ लेना चाहिए वो इंसान नहीं भेड़ है क्यों की उसने खुद कुछ नया नहीं किया बस भेड़ की तरह लाइन में पीछे ही चलता चला इंसा तो वो है जो
मै सो रहा था उस दिन अँधेरे किसी कोने से वो एक अवला आ रही थी तभी चार निर्दयी जानवरों ने उस को नोचना शुरू कर दिया उसकी चीखें उस पाश कॉलोनी की कोठियो से टकरा टकरा कर वापस आ रही थी म
कर लो चाहे पूजा एक हज़ार कहता यही मै बार बार माँ बाप को जो ठुकराया बुढ़ापे में चोट खायेगा दिन में सौ सौ बार माँ बाप तो गहना है जिसे बचपन में तूने पहना है पत्नी के आते ही ये गहना तू
ये केसी शिक्षा हम बड़े गर्व से कहते है मेरा दोस्त ,भाई विदेश में काम करता है मेरी चाची का लड़का विदेश में इंजिनियर है पर ए बेब्कूफो भारत की शिक्षा ही हो चुकी भर्स्ट है जब भी जाओ लेने अ
हैलो सखी। कैसी हो। आज ही कुरियर वाला हमे हमारा ईनाम देकर गया है। हमारे छोटे सपूत दौड़ कर गये और कुरियर वाले से ईनाम लेकर सब को दिखाया कि हमारी ममा ने ईनाम जीता है ।सच मे सखी बड़ी खुशी हो र
बेटा मेरा जब लिपटता है बांहों में जीवन पूरा जी लेता हूँ अब कोई तमन्ना नहीं है मेरी उसे देख आँखों से खुशियों की शराब पी लेता हूँ उसकी किलकारी ताकत है मेरी इस प्यारी चित्कार को सम
उसकी आँखों में खौफ -सा बिखरा पड़ा है उसके हाथो में खिलोने है बच्चो के पर पसीना कहानी कहता है के किसी के जाने का उसके कांपते होठो पर एक अजीब सी दहशत है इस बेकार की महंगाई ने तोड़