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शेर

hindi articles, stories and books related to sher


ये जो बे-ज़ुबानों की बस्ती है।
हां ये जो इंसानों की बस्ती है।

सुनो बलम सूनि तुम बिनु दुनिया है।
आओ बाट जोहत तोरी जोगनिया है।

मैं फ़िर से किसी से नज़दीकियां  बढ़ाऊं क्या
आधे सफ़र तक किसी

मुहोब्बत किस्मत वालों को
मिलती हैं 
ये वो कली है जो बहोत मुश्किल से

मेरे सर पर भी मुहोब्बत का ताज होता 
मेरी चाहत पर सबको नाज होता
तुम सिर

हर बार पत्नी की हा में हा मिलाना सही नही है एक बार पत्नी बोली मुजे कामवाली बाई की बहूत याद आ रही है क्योकी में थक गई हू काम करके 😫। तब पति अखबार पढ़ रहा था और उसका ध्यान नही था 🙄। वो हर बार की की तरह हा मिला दी और बोला मु जे भी बहुत याद आ रही । तब पत्नी को गुसा आया 😡 और बरतन मार उथाके फेका पति की

माना कि न थी नसीब के खाते में खुशहालियां,बर्बादियों को भी न जाने लगी ये किसकी नज़र है।--श्रीधर

बेसाख्ता तेरा नाम क्या आ गया जुबां पे सुबह-सबेरेआज दिन भर एक दर्जन गीत लिखे हैं नाम पर तेरे।--श्रीधर

Almost every news - "This leader/sportsperson/falana said something stupid/awful."देश की किस्मत पर पानी फिर गया,आधा देश कामों के बजाय बयानों पर ही मर गया!#ज़हन

एक गुजीदा गुलाब भेजूँ आपको या पूरा गुलिस्ता ही भेंट कर दूँ आपको , शेर लिखूँ आपके लिए या ग़ज़ल में ही शामिल कर दूँ आपको ,रवि हैं आप , हमेशा आफ़ताब की तरह चमकते रहे जहान में ,अँधेरे वक्त में भी पूनम का साथ हो, मेरे खुदा से यही दुआ है आपको ा

"कुछ शेर"बहुत गुमराह करती हैं फिजाएँ जानकर जानमआसान मंजिल थी हम थे अजनवी की तरह।।तिरे आने से हवावों का रुख भी बदला शायदलोग तो कहते थे कि तुम हुए मजहबी की तरह।।समय बदला चलन बदली और तुम भी बदलेबदली क्या आँखें जो हैं ही शबनबी की तरह।।लगाए आस बैठी है इंतजार लिए नजरों मेंतुम आए तो पर जलाए किसी हबी की तरह

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अरख की अख़लाक़ी पर सवाल जरूर होना चाहिए, मादरे वतन के लिये भी अख़लाक़ जिन्दा रहना चाहिए \ अखबान पर फ़िदा होने वालो अपना भी अख्तर चमकेगा हम अखयार है वा लाख अजकिया है हममे --- पुरखो की अखनी का समावेश है हममे अज़ली अपनी पहचान .

कर्म से होती पहेचान सबकी कर्म ही है मील्कियत आखिरत की। दिखावा कुछभी करो फल वही देता खुदा जैसी है नियत आप की। सखावती का दिखावा बेवकुफी है उससे नही बनती पहेचान किसी की।

मेरी बंदगी पे इतनी इनायत करले ऐ खुदाकी मुंतज़िर-ऐ-ज़िंदगी को उनकी मौसिकी से नजात मिल जाए ये मेरी तिशंगी है ना की नादान सी खवैशे उनके तज्वर किजो कभी पूरी हो नहीं सकती....।।।- जास्मिन बहुगुणा

मेरे शब्दों में अब बजन ही कंहा रहा है वो तो बस असर था तेरी मोहब्बत का , जो इतना कुछ लिखा था तेरे को दिल के आइने में देख देख के ... ‪#‎आप‬ याद आते हो मनमोहन कसाना

    कुछसंकलित शेर  शाम से ही बुझा सा रहता है ,दिल हुआ है चिराग मुफलिस का |              अज्ञात झूठ के आगे पीछे दरिया चलते हैं ,सच बोला तो प्यासा मारा जायेगा |             वसीम बरेलवी एक मदारी ( शायर ) के जाने का गम किसको गम तो ये है मजमा कौन लगायेगा |          वसीम बरेलवी मुसलसल गम और लम्बी जिन्दगान

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