थरूर की परेशानी ओर राजनीति मे जहर का घूट पीते वरिष्ठ
कांग्रेस अंदर ही अंदर झुलसने लगी है: अब उसके बडे नेता नेत्रत्व को लेकर खुल्लम खुल्ला बेबाक हैं:सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर इस मामले में सबसे आगे हैं वे कोई भी बात खुलकर कहने के लिये प्रसिद्व है: हालाकि शशि थरूर से पहले भी कई नेता इस मामले पर अपना मत जाहिर कर चुके है लेकिन इस बार उन्होनें पार्टी को सीधे सीधे कह दिया है कि वह जल्द से जल्द नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करें, उनके मुताबिक, अगर राहुल दोबारा अध्यक्ष नहीं बनना चाहते तो पार्टी आगे बढ़े: दूसरी ओर सचिन पायलट राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिलने के बाद क्या कांग्रेस महासचिव बनेंगें यह भी अब चर्चा का विषय है: दूसरी ओर कांग्रेस सांसद शशि थरूर का मानना है कि कांग्रेस को अपनी छवि बचाने के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनना ही होगा: उनका मत है कि जनता के बीच पार्टी की छवि 'दिशाहीन' दल की हो चली है, इसे तोड़ने के लिए एक फुल-टाइम अध्यक्ष की जरूरत है: थरूर मानते है कि राहुल गांधी में वह 'दम और काबिलियत' है कि वह पार्टी को फिर से लीड कर सकते हैं हालांकि वे यह भी कहते हैं कि अगर राहुल फिर अध्यक्ष नहीं बनना चाहते तो कांग्रेस को नया अध्यक्ष चुनने की कवायद शुरू कर देनी चाहिए: थरूर अपने इस बयान से क्या संकेत देना चाहते हैं यह कोई भी समझ सकता है: असल में वे कमजोर पाटी को यह बताना चाहते हैं कि उनका दल अब परिवर्तन चाहता है:थरूर का यह बयान पुन: उस वक्त आया जब सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर रही थी: उन्हें पिछले साल 10 अगस्त को ही राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद, मजबूरी में कमान सौंपी गई थी: थरूर ने यह सारी बाते देश की एक बडी समाचार एजेंसी के सामने कही है: उनका कहना है कि "मुझे यकीनन ये लगता है कि हमें अपने नेतृत्व को लेकर स्पष्ट होना चाहिए: थरूर ने सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने का स्वागत किया था लेकिन वे ये भी मानते हैं कि अनिश्चितकाल तक उनसे यह पद संभालने की अपेक्षा रखना ठीक नहीं है।" कांग्रेस का युवा वर्ग वास्तव में अपने भविष्य के प्रति अनिश्चित है वह कब तक पार्टी को इस हाल में देखती रहेगी: मध्यपदेश और राजस्थान के हालातों को पार्टी का युवा वर्ग भुला नहीं पा रही है: ज्योतिराधित्य सिंधिया का पार्टी छोड जाना और सचिन पायलेट का राजस्थान सरकार को हिला देना भी यह बताता है कि पार्टी को अपने नये नेता का चुनाव जल्द से जल्द कर लेना चहिये: कांग्रेस को जनता के बीच बन रही छवि को सुधारनी होगी: कांग्रेस के कई नेता यह मानते है कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की भूमिका अदा करने में सक्षम नहीं है" इसी संदर्भ में पार्टी में थरूर जैसे नेता मानते हैं कि पार्टी को जल्द से जल्द लोकतांत्रिक ढंग से पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनने की प्रकिया शुरू करनी चाहिए: ऐसे लोग चाहते है कि पार्टी का नेत्रत्व करने वाले नये नेता को इतनी ताकत मिले कि वह पार्टी को संगठन के स्तर पर फिर से खड़ा कर सके। थरूर के बयान के बाद कांग्रेस के भीतर फिर से राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ जाये तो आश्चर्य नहीं करना चाहिये लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वह कितना पार्टी को संभाल पायेंगे यह भी यक्ष प्रश्न है: दूध का जला छाछ भी फूक फूक कर पीता है फिर यह तो राहुल गांधी है जो पिछले लोकसभा में अपने नेतत्व में हुई हार से बुरी तरह हारकर अभी अभी स्वस्थ हुए हैं:मानना यही है कि राहुल गांधी फिर से कमान संभालने को तैयार हैं तो उन्हें बस अपना इस्तीफा वापस लेना है, उन्हें दिसंबर 2022 तक के लिए चुना गया था लेकिन अगर वह ऐसा नहीं चाहते तो क्या कांग्रेस इसी हाल में अपने आपकों कायम रखेगी: राहुल गांधी वैसे भी अपने इस्तीफे के बाद काफी सक्रिय रहे हैं और सरकार को कई बार आइना दिखाया है लकिन ऐसा नहीं है कि वह जनता के बीच उस ढंग से अपनी पैठ कायम कर पाये हैं जैसा दूसरे राजनेता अब तक कर पाये है: अगर वह दुबारा कांग्रेस का नेत्रत्व करते है तो उन्हें और कडी मेहनत करनी होगी:देश में करोना संकट, पलायन और अल्पसंख्यकों के मामले तथा चीन की घुसपैठ के मामले में राहुलगांधी की मुखरता के साथ युवाओं को आशा है कि कांग्रेस को आगे बढाने में वे ही उनके लिये सक्षम नेता है: इस बीच राजस्थान के सियासी संकट के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की है: कांग्रेस ने उन्हे दोबारा प्रदेश अध्यक्ष का पद देने की संभावनाओं से इनकार कर दिया है: हालांकि उन्हें कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है: पार्टी आलाकमान का रूख देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुंह से निकल ही गया कि राजनीति में कभी-कभी जहर का घूंट पीना पड़ता है: