एक ऐसा भेद जिसपर से शायद कभी पर्दा उठ ही नहीं सकता मौत हसीन है, मेहबूबा है...यह हम कहते हैं लेकिन वे भी तो कुछ कहते हैं जो मौत के मुंह से वापस आये... कि न्तु जीवन का आखिरी सिरा आज भी रहस्य ही बना हुआ है!
इस हकीकत से सब वाकिफ है कि किसी जीव की पैदाइश कैसे होती है लेकिन कोई आज तक यह नहीं जान पाया कि जिंदगी का आखिरी सिरा कहां है? मौत मिलती है तो कैसे और उसके बाद क्या होता है. धर्म इस बारे में कुछ बताता है तो वै ज्ञान िक अपना तर्क देते हैं लेकिन हकीकत यही है कि मनुष्य इस आखरी सिरे को अब तक पकड़ ही नहीं पाया है.? आखिर मौत की दहलीज पर होता क्या है...ये वो सवाल है, जिसका जवाब वो लोग देते हैं, जो मौत के दर से लौट आए हैं या फिर जो मौत के अनुभवों पर रिसर्च करते हैं. ऐसे में अमेरिका के एक बड़े डॉक्टर ने जो रिसर्च किया है, वो काफी चौंकाने वाली जानकारी देता है. उस डॉक्टर के मुताबिक, मौत के वक्त दिमाग में होता है शॉर्ट सर्किट और उससे निकलती है रहस्यमय रोशनी और ये सब कुछ तीस सेकंड का खेल होता है मगर इस खोज पर भी प्रश्न चिन्ह है.मौत कैसे होती है? अब तक हम इसे किस्से कहानियों में ही पढते आये हैं, छै अंधों की हाथी के सबंन्ध में कहानी की तरह कि हाथी सूपे की तरह होता है, हाथी रस्सी की तरह होता है,हाथी स्तूप की तरह होता है जैसे मौत भी दुनिया में जीवित लोगों के लिये हसीन है. मौत वो महबूबा है, जिससे एक न एक दिन मिलन हो ही जाता है.हम उसे चाहें भी तो टाल नहीं सकते. मौत तब आती है, जब आपके सभी दुखों का अंत हो चुका है. मौत हमें हमारे इस शरीर से मुक्ति दिलाकर एक नई शुरूआत की ओर ले जाती है- पता नहीं ये बातें किसी ने कब कही होंगी, या किस किस ने क्यों कही होंगी? पर कुछ लोगों के अनुभवों को जानकर तो यही लगने लगा है कि मौत हसीन होती है. एक सवाल-जवाब किसी ने किया। जिसमें उसने पूछा कि मौत का अनुभव कैसा होता है? जिसके बाद तमाम लोगों ने अपने अनुभव गिनाए. इनमें से जांच के बाद पता चला कि अधिकतर लोग मौत के बेहद करीब जाकर वापस आए हैं. कुछ कई दिनों तक कोमा में रह चुके थे, तो कईयों की सांसें टूटने के बाद जुड़ गई थी.कुछ लोगों का कहना है कि मौत बेहद शांति देने वाली होती है. हमें मौत से नहीं डरना चाहिए, तो कुछ का कहना है कि उन्होंने अपनी मौत के बाद जिस दुनिया में कदम रखा, वहां उन्हें वो परिजन मिले, जो उनसे पहले ही मौत को प्राप्त हो चुके थे.जिंदगी जी रहे लोगों के लिये मौत सदैव एक बहस का विषय ही रहा है. मौत जादू की तरह रहस्यमी है वेरा मेगान नाम की लड़की ने मौत के बाद क्या महसूस किया? वो बात जब सामने आई तो कोई भी विश्वास किये बगैर नहीं रह सका. रख रहे हैं मेगान ने मौत के बारे में अपने अनुभव को कुछ यूं व्यक्त किया, मेरे लिए मौत आनंददायक, निर्मल, रोमांचक, शांति से भरी और आरामदायक रही मेगान का कहना है कि वो शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती, कि उनका अनुभव कैसा था। मेरे पास शब्द नहीं है। बस इतना कह सकती हूं कि वो लम्हे मेरे लिए सबसे शानदार थे. मेगान जब 11 साल की थी, तो कार्बन मोनोऑक्साइड के जहर से उनकी मौत हो गई थी. ये गैस पानी के हीटर से निकली थी, वो पूर्व सोवियत संघ में रहा करती थी. मेगान कहती हैं कि जब उन्हें मौत को महसूस करना होता है, तो सो जाती हैं। खुद को भारी कपड़ों से ढक लेती हैं और मौत के आगोश में सो जाती हैं। ऐसा लगता है, जैसे मैं खुद को उन लम्हों के करीब पा रही होती हूं।मेगान अपने मौत के अनुभव के बारे में बताती हैं कि मेरे दिल की धड़कने बेहद तेज हो गई थी, मानो वो रेस कर रही है,मेरा सिर चकरा रहा हो, मानो वो चकरघिन्नी बन गई हो,ऐसा लगता था, जैसे मेरे सर पर दो बड़े छेद हो गए हों, और मैं अभी मरने जा रही हूं। ये वो समय था, जब मैं मरने जा रही थी ये मरने से पहले के इंसानी शरीर का तकादा होता है कि वो आने वाले सफर के बारे में दिमाग को बता दे, जो अगले ही पल शून्यता से घिरने वाला होता है। दिमाग को पता चल जाता है कि वो भारी मुसीबत में होता है। जिससे वो खुद ही खुद को बचा सकती है। मेगान आगे बताती हैं कि वो मरने वाली थी, और कोई भी उन्हें सुन नहीं रहा था अचानक मुझे लगा कि मैं रंगों में घिर रही हूं अजीब से दृश्य मेरी आंखों के सामने तैरने लगे और यहीं से मेरी मौत के बाद का सफर तय हुआ मेगान अपने शरीर को छोड़ चुकी थी,वो कहती हैं कि मुझे सबसे पहले गीले बादल दिखे, कुछ ऐसा दिखा, जैसे हम टेलीस्कोप से अंतरिक्ष को निहार रहे हों कई तरह के रंग एक से दूसरे में समाते जा रहे थे कोई शोर नहीं था कोई आवाज नहीं थी,ये सब मेरे आसपास हो रहा था और मैं इसे सिर्फ महसूस कर पा रही थी। ये सब मुझे बेहद खूबसूरत लगा। ऐसे लगा, जैसे किसी ने मुझे ऊपर खींच लिया हो। मेरा पूरा शरीर फेफड़े के माफिक लगने लगा अचानक पूरा शरीर गायब हो गया और तभी मुझे महसूस हुआ कि मैं अंतरिक्ष में हूं अचानक रोशनी दिखने लगी। मुझे किसी तरह का आभास हो रहा था, कि मुझे कोई खींच रहा है मैं खुद को देखने की कोशिश कर रही थी, पर मैं वहां थी ही नहीं वो पहला लम्हा था, जब मैं चौंकी थी पर मैं डरी नहीं. मुझे अकेलापन भी नहीं लगा। वहां और भी थे, जिन्हें मैं देख नहीं पा रही थी. पर वो थे, क्योंकि वो मुझसे बात कर सकते थे. वहां मेरा स्वागत किया जा रहा था। और तभी सबकुछ रुक गया। मानों सबकुछ एक दूसरे में समा गया हो। सबकुछ शून्यता से भर उठा।मेगान ने आगे कहा, आखिरी बात जो मुझे याद है वो ये कि मुझे अचानक ही कहीं ढकेल दिया गया हो। ये चौंकाने वाला था, पर मैं खुश थी। और तभी शायद मैं वहां से विदा की जा चुकी थी। धरती पर मेरी रुकी सांसे चलने लगी थी, क्योंकि मेरे पिता ने एंबुलेंस बुलाकर मुझे अस्पताल पहुंचाया पर मेरे पिता भी भौचक्क थे। डॉक्टरों ने मेरे पिता से कहा कि आपने बच्ची को लाने में देर कर दी। इसकी मौत हुए करीब 15 से 45 मिनट बीत चुके हैं,पर मेरे पिता नहीं मानें, वो डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाए. मेरे पिता बोले, प्लीज, मेरी बच्ची को बचा लीजिए मेरी बच्ची को वापस लाइए और तभी मेरी सांसे चलने लगी,इस 15 से 45 मिनट के बीच का सफर मैं आप सबके साथ साझा कर चुकी हूं वो मेरे लिए अनमोल लम्हे थे, जिन्हें सिर्फ मैंने महसूस किया।वेरा मेगान के अलावा भी कई लोगों ने अपनी कहानियां साझा की.बारबरा नाम की महिला ने भी अपनी मौत के बाद का अनुभव साझा किया. वो कम से कम 3 बार मौत के मुंह में जाकर वापस आ चुकी हैं उनका दिल कई बार काम करना बंद कर चुका है। बारबरा ने कहा कि मौत के बाद लगा कि मैं मूर्छित हो रही हूं, इसके बाद लगा कि मैं बेहद आराम में हूं। एकदम शांत। मुझे सांस लेने की कोई जरूरत नहीं थी कोई दर्द मुझे नहीं हो रहा था पूरी तरह से शांति थी। और अंधेरा और ये अनुभव मुझे कम से कम 3 बार मिल चुका है।जिंदगी का आखिरी सिरा तो मौत से मिलता है लेकिन मौत की दहलीज पर होता क्या है...ये वो सवाल है, जिसका जवाब वो लोग देते हैं, जो मौत के दर से लौट आए हैं या फिर जो मौत के अनुभवों पर रिसर्च करते हैं. ऐसे में अमेरिका के एक बड़े डॉक्टर ने जो रिसर्च किया है, वो काफी चौंकाने वाली जानकारी देता है. उस डॉक्टर के मुताबिक, मौत के वक्त दिमाग में होता है शॉर्ट सर्किट और उसके निकलती है रहस्यमय रोशनी और ये सब कुछ तीस सेकंड का खेल होता है. मौत की वास्तविकता यही है कि मौत वास्तव में रहस्यमय है और रहस्यमय ही रहेगा-डॉक्टरों का कहना है कि मौत के कई घंटे बाद भी इंसान को फिर से जीवित किया जा सकता है. तो अब सवाल ये है कि क्या हमें मौत के बारे में अपनी धारणाओं को भी बदलना चाहिए? ब्रिटेन में डेविज़ेस के पास ईस्टरटन की रहने वाली कैरल ब्रदर्स को दिल का दौरा पड़ा था, उनके दिल ने धड़कना बंद कर दिया था.63 साल की कैरल ब्रदर्स उस पल को याद नहीं कर पातीं जब उनकी मौत हुई थी.वो कहती हैं,मुझे लगता है कि शुक्रवार दोपहर के भोजन का समय रहा होगा, क्योंकि हम सब खरीददारी करके वापस लौट ही रहे थे. मुझे ये याद नही कि कब मैं कार से निकली और घर के अंदर आ गई लेकिन उनके पति डेविड को तीन महीने पहले घटी उस दिन की साफ यादें हैं. वो कहते हैं कि उन्होंने घर का दरवाजा जैसे ही खोला तो देखा कि कैरोल ज़मीन पर पड़ी सांस के लिए हाँफ रही थीं और उनके चेहरे का रंग तेज़ी से उड़ता जा रहा था.मगर किस्मत से एक बुजुर्ग पड़ोसी को कार्डियो पल्मोनरी प्रक्रिया (सीपीआर) यानी रुके दिल की धकडऩ को फिर से शुरु करने की क्रिया मालूम थी, उन्होंने जल्दी से उसके सीने को झटके और कृत्रिम तरीके से साँस देना शुरु किया.इसके बाद, अस्पताल के पराचिकित्सकों ने इलाज शुरु किया. करीब 30 से 45 मिनट बाद कैरल का दिल फिर से धड़कने लगा. न्यूयॉर्क में स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय में पुनर्जीवन अनुसंधान के निदेशक सैम परनिया कहते हैं, वो 45 मिनट बेहद महत्वपूर्ण रहे. बहुत से लोगों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था, लेकिन हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो मौत के तीन, चार, पांच घंटे के बाद तक लोगों को वापस उनके जीवन में लाए हैं.अधिकांश लोगों का मानना है कि दिल का दौरा पडऩे और धड़कन बंद हो जाने से ही व्यक्ति की मौत हो जाती है. लेकिन ये कोई अंतिम सीमा नही है. सैम परनिया कहते हैं, लंबे अर्से से डॉक्टर मानते आए है कि अगर किसी व्यक्ति की धड़कन 20 मिनट से अधिक समय तक के लिए रुक जाती है, तो मस्तिष्क को ऐसा गंभीर नुकसान होता है, जिसे पूरा नही किया जा सकता. लेकिन सावधानी और कायदे से किए गए सीपीआर से पुनर्जीवन संभव है.सैम परनिया कहते हैं कि जब मस्तिष्क में रक्त का संचार रुकने के चलते ऑक्सीजन की आपूर्ति कम होने लगती है, तो भी इससे मस्तिष्क का तुरंत नाश नही होता है.और वो एक तरह से हाइबरनेशन में चला जाता है और नुकसान को खुद ही पूरा करने के तरीके खोजने लगता है. मस्तिष्क के जागने यानी पुनर्जीवन के लिए ये चरण खतरनाक होता है क्योंकि ऑक्सीजन संभवत: इस चरण में विषाक्त हो सकती है इसकी तुलना एक भूकंप के बाद आई सुनामी से की जा सकती है. मरीज़ों के लिए सबसे अच्छा तरीका शरीर के तापमान को 37 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच लाना होगा.परनिया कहते हैं कि ठंड़ा करने की चिकित्सा के पीछे कारण ये है कि ये मस्तिष्क कोशिका के क्षय होने की गति को धीमा कर देती है.उस समय ऐसा लग रहा था कि मरीज़ भूकंप से तो बच गया, लेकिन सुनामी से तबाह हो गया.कैरल की बेटी मैक्सिन को डॉक्टर नोलन सलाह दी कि उन्हें मृत्यु की अनुमति दी जानी चाहिए. लेकिन तीन दिन बाद जब मैक्सिन ने फिर से अस्पताल का दौरा किया तब उन्होंने देखा कि उनकी माँ कैरल जाग गई है और वो चारों ओर देख रहीं थी.मौत एक अचानक घटने वाली घटना है, मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह रुक जाता है, लेकिन हम जानते हैं कि मौत एक ऐसी प्रकिया है, जिसमें कोशिका के स्तर पर वो उनका धीरे-धीरे क्षरण होता है. मृत्यु के पीछे का विज्ञान : आत्मा और पुनर्जन्म मृत्यु क्या है? मृत्यु के समय क्या होता है? मृत्यु के पश्चात क्या होता है? मृत्यु के अनुभव के बारे में कोई किस प्रकार बता सकता है? मृत व्यक्ति अपना अनुभव नहीं बता सकता, जिनका जन्म हुआ है उन्हें अपने पिछले जन्म के बारे में कुछ याद नहीं, कोई नहीं जानता कि जन्म से पहले और मृत्यु के बाद में क्या होता है।मौत के बाद क्या होता है यह किसी को नहीं मालूम तो पुनर्जन्म को भी हम एक सच्चाई कैसे माने? ड़ारविन के उत्पत्ति के नियम के अनुसार जीवन एक कोशीय जीव से शुरू होकर मनुष्य में पहुँचने तक विकसित होता है। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उसके बाद में क्या होता है आत्मा के अस्तित्व में विश्वास के बिना पुनर्जन्म को कैसे समझा जा सकता है? जब आत्मा का स्वरूप समझ में आ जाएगा तो सभी पहेलियाँ सुलझ जाएँगी। पहले आत्मज्ञान प्राप्त कर लें और उसके बाद सभी पहेलियाँ सुलझ जाएँगी। आत्मा कभी भी मरता नहीं है, लेकिन जब तक आप आत्मभाव में नहीं आ जाते, आपको मृत्यु का डर बना रहेगा।जब मृत्यु के बारे में सभी तथ्य पता चल जाएँगे, तो मृत्यु का डर गायब हो जाएगा। बस्तर की एक ताजी घटना: मरकर जी उठने वाली अद्भुत घटना के गवाह तो जगदलपुर के गांडाबाडी बस्ती के लोग भी हैं जिन्होंने एक इक्कीस वर्षोय युवक को दिन भर मरने के बाद रोते हुए बितायंा और उस समय लोग हतप्रब रह गये जब उसे दफनाने के लिये ले गये वह पुन: उठ बैठा और बताया कि मैं जहां से वापस आया हूं वह भी हमारी धरती जैसी एक जगह है वहां भी लोग काम करते हैं और पूरी धरती जैसा ही शांत नजारा मुझे देखने को मिला. कुछ लोग मुझे बांधकर ले जा रहे थे तभी मैरे दादा दादी भी जो बहुत साल पहले मर चुके थे मुझे देखने के लिये आये लेकिन मुझे मिलने का मौका नहीं मिला.मरकर जी उठने वाला युवक याद कर कहता है कि उसे वहां पता चला कि जो लोग ज्यादा पाप करते हैं उसे जला देते हें- तभी पीछे से किसी ने कहा इसका अभी समय नहीं हुआ है इसे वापस भेज देा और मैं वापस आ गया...