अपराधों के बाद लोकप्रिय नारा... सीबीआई जांच!
सीबीआई की जांच पहले अत्यन्त जरूरी होने पर ही की जाती थी, इसके परिणाम भी अच्छे निकलते थे लेकिन अब सीबीआई जांच की मांग प्राय: मामलों में होने लगी लेकिन इससे पहले सरकारों द्वारा पीडित परिवारों को भारी मुआवजा देने का प्चलन भी शुरू हो गया: सवाल यह उठता है कि आखिर कब करती है केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो आफ इंडिया (सीबीआई)किसी मामले की जांच? अक्सर सीबीआई जांच परिस्थितियां देखकर की जाती है: सवाल यह भी उठता है कि सीबीआई हर मामले की जांच क्यों नहीं करती है - द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, युद्ध से संबंधित खरीद में रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए ब्रिटिश भारत के युद्ध विभाग में 1941 में एक विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (एसपीई) का गठन किया गया था, बाद में इसे भारत सरकार की एक एजेंसी के रूप में औपचारिक रूप से दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 को लागू करके भारत सरकार के विभिन्न विंगों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करने के लिए औपचारिक रूप दिया गया. 1963 में भारत सरकार द्वारा अखिल-भारत एवं अंतरराज्य में विभाजित भारत की सुरक्षा, उच्च स्थानों पर भ्रष्टाचार, गम्भीर छल, धोखाधड़ी एवं हेराफेरी एवं सामाजिक अपराधों विशेषकर आवश्यक जिंसों की जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी जैसे गम्भीर अपराधों का अन्वेषण करने की दृष्टि से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का गठन किया गया: सीबीआई को अपराध का अन्वेषण करने हेतु कानूनी शक्तियां डीएसपीई एक्ट, 1946 से प्राप्त हैं:देश में अक्सर कई बड़े अपराधों को हल करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की मदद लेने की मांग उठती रही है और अब तो यह अपने चरम पर पहुंच गया है:कई मामले तो ऐसे भी जिसे पुलिस सही ढंग से अपने मुकाम तक पहुंचाने के बाद भी उसपर संदेह व्यक्त करते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की जाती है. कई मामलो में तो सीबीआई की जांच के बाद भी वही निष्कर्ष निकला है जो पुलिस ने निकाला था: आज की स्थिति में सीबीआई ढेरो मामलों की जांच में दबी हुई है: मध्यप्रेदेश में व्यापम घोटाले के समय जांच एजेंसी के पास करीब छै हजार पांच सौ से ज्यादा मामले थे. कई मामलों की जांच लंबित होने के कारण इंसाफ मिलना आसान नहीं रह जाता: मघ्यप्रदेश के व्यापम मामले में पैतीस से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी: हाल के महीनों में ही देखें तो फिल्म अभिेनेता सुशांत सिंह राजपूत से लेकर हाथरस का रेप मर्डर कांड और राजस्थान में पुजारी हत्याकांड मामलों की सीबीआई जांच की सिफारिश संबन्धित राज्य सरकारें कर चुकी हैं और जांच शुरू भी हो चुकी है:मुम्बई में सुशांत सिह राजपूत की मौत का रहस्य ढूंढने का काम सीबीआई सहित तीन एजेस्यिों को सौपा गया था: सीबीआई के कहने पर एम्स के जांच दल ने यह स्प्ष्ट कर दिया कि मौत का कारण हत्या नहीं वरन आत्महत्या थी लेकिन मामले की तह तक पहुंचने के लिये सीबी आई की एक बडी टीम अब भी लगी हुई है: यूपी के हाथरस में बिटिया रेप मर्डर प्रकरण की जांच मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने ढंग से वहां की एसआईटी से करवाने के बाद मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की वहीं लखनऊ हाईकोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया : राजस्थान में पुजारी हत्याकांड भूमि विवाद को लेकर हुआ अब इस मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से कराने का अनुरोध वहां के मुख्यमंत्री ने किया और यहां भी इस मामले की जांच शुरू हो गई: सीबीआई राज्य पुलिस द्वारा पंजीकृत आपराधिक मामलों का अन्वेषण अपने हाथों मे उसी समय ले सकती है जब संबंधित राज्य सरकार इस संबंध में निवेदन करे एवं केंद्र सरकार राजी हो जाए (केंद्र सरकार राज्य के निवेदन पर निर्णय करने से पहले सामान्यत: सीबीआई की टिप्पणी मांगती है) डीएसपीई एक्ट की अधिनियम 6 के अंतर्गत राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर अपनी सहमति प्रदान करती है एवं केंद्र सरकार डीएसपीई एक्ट की अधिनियम 5 के अंतर्गत अधिसूचना जारी करती है। उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालयों द्वारा भी सीबीआई को अन्वेषण करने का निर्देश दे सकती है:नवंबर, 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के पश्चात आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों का अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया जबकि सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है:सीबीआई स्वत: ही देश में कहीं भी घटित किसी भी प्रकार के अपराध का जांच कार्य नहीं ले सकती: सीबीआई के द्वारा किसी एक राज्य के क्षेत्राधिकार में अन्वेषण हेतु उक्त राज्य की सहमति अनिवार्य है:यद्यपि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के द्वारा बिना राज्य सरकार की सहमति के देश में कहीं भी घटित वैसे अपराधों के अन्वेषण के लिए सीबीआई को निर्देश दे सकती है।