करोना तूफान है तो सोशल मीडिया सुनामी!
बात का बतंगढ़ बनाना तो कोई इनसे सीखें..
दुनिया के साढ़े छै: हजार से ज्यादा लोगों को खाकर भी करोना का दिल नहीं भरा!
भारत ने कई मुसीबतों का सामना किया..... लेकिन अब भी दम है!
एम.ए.जोसेफ
हम भारतवासी जिस मिटठी के बने हैं वह अद्भुत है. हममें प्रतिरोधक शक्ति है. हममें सब कुछ सहने की शक्ति है. वह चाहे गुलामी का समय रहा हो,अकाल दुकाल हो,बाढ़ हो या भूकंम्प हो अथवा हेजा,प्लेग जैसी बीमारी! हमने प्राय: सभी पर फतह पाई है हमारा शरीर प्रदूषण भी झेल सकता है. रात का अंधेरा भी बर्दाश्त कर सकता है. तो गंदगी में भी जीवन बिताने की शक्ति ईश्वर ने हमें दे रखी है. आजादी के बाद से देश में कई कठिनाइयों का दौर रहा है.आजादी के समय और उसके बाद के दिनों मेें जो लोग पैदा हुए उनमें से कइयों ने अपनी मां को जंगल से लकड़ी काटकर खाना बनाते, चूल्हा फूकते देखा है वहीं मुसीबतों को पार करते हुए अपने बच्चों को पालते और शिक्षित करते देखा है.कुछ लोगों की स्थिति तो आज भी वैसे ही है. ऐसे संघर्ष के बाद अबका जीवन तो काफी परिवर्तन का है.दुनिया आज करोना वायरस का मुकाबला नहीं कर पा रही है. इस बीमारी ने हमारी धरर्ती पर भी कदम रख दिया है.यह वह समय है जब सोशल मीडिया नाम की एक दुनिया भी सक्रिय है जो सच को झूठ और झूठ बनाने की भूमिका अदा करती हैै.ऐसा कुछ पहले नहीं था जब देश के कई भागों ेंअचानक दंगे भड़क जाया करते थे तब कोई यह नहीं कहता था कि हिन्दू -मुसलमान दंगा हुआ है. सारी बाते दबी जुबान में बाहर आती थी कि दो समुदाय आपस में टकरा गये हैं- आज ऐसा नहीं है. वाट्सएप,ट्विटर फेस बुक, यू ट.यूब की दुनिया ने सुबह उठते ही गुडमार्निगं कहना शुरू कर दिया है. कोई ऊगते सूरज को दिखाकर गुडमार्निगं और आपका दिन शुभ हो कहता है तो काई गुलाब के फूल भेजकर.... और दिन शुरू होते ही लो्र अपना व अपने परिवार की चिंता छोड़ सारी दुनिया की फिक्र करने लगते हैं. दिनचर्याओं में कहीं न कहीं कुछ तो होता ही है फिर वह हिंसा हो तो उसमें घी डालकर परोस दो, और छोटी सी बीमारी हो तो उसे बड़ा बनाकर पेनिक पैदा कर दो. हम उस दौर को भी याद करते हैं जब लाखों लोग विभिन्न आपदाओं में मारे गये थे तब न कोई सोशल मीडिया था और न ही टीवी के ऐसे चैनल जो आज चिल्ला चिल्लाकर बात का बतंगढ पैदा करते हैं.करोना वायरस जहां से पैदा हुआ वहां यह अब खत्म होने को है लेकिन इसने दुनिया के प्राय: विकासशील देशों को अपनी चपेट में ले लिया है यह वे देश हैैं जो हमसे कई गुना ज्यादा विकसित हैं.या यह कहे कि लोग स्वर्गीय जीवन व्यतीत करते हैं.इसमें कोई दो मत नहीं कि कोविड-19 अब तक फैली बीमारियों में सबसे ज्यादा खतरनाक है और इसका इलाज भी वहीं है जो विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जिनको बीमारी का संदेह है वह मास्क लगाये बाकी अपना ख्याल खुद रखे,हाथ साफ रखे, किसी से हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करें और छीकने वालों से कम से कम तीन मीटर दूर रहे आदि -आदि. करोनावायरस पर हम नियंत्रण अपने आपको सुरक्षित रखकर ही कर सकते हैं.इस बीमारी की उत्पत्ती आज की नहीं है. सन् 2017 में ही क रोनावायरस की उत्पत्ती हो चुकी थी. आधा विश्व इससे परिचित है.डेटटाल और लायसोल जैसी घरों की कीटनाशक कंपनिया अपने उत्पादों पर वर्षो से यह लिखते आ रहे हंै कि यह उत्पाद अन्य कीडो के साथ करोना वायरस जैसे कीडा़े का भी खात्मा कर सकता है. करोना वायरस का हल्ला तब ज्याद मचा जब चीन के शहर वुहान शहर में मौतों का सिलसिला शुरू हुआ. विशेषज्ञ कहते हैं कि करोना वायरस का फैलाव तो अपने हिसाब से हुआ किन्तु उसे तेज गति देने का काम सोशल मीडिया ने किया, चाहे वह गंभीरता से हो या फिर हंसी मजाक में! विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लूएचओ ने भी एक सूचना जो जारी की है वह भी भ्रम पेदा करता है. डब्लूएचओ ने कोविड 19 सेे मोरालिटी रेट 3.4 प्रतिशत बताया है वह भी तब जब वुहान में कोराना वायरस पूरे दम पर एक साथ फूट निकला था. वुहान में जब कोविड पूरे दम पर था तब यह दर 17.3 प्रतिशत था जो अब घटकर 5.8 प्रतिशत से कम हो गया है जबकि शेष 0.7 प्रतिशत चीन के दूसरे भागों का है अगर कथित आंकड़ो की तुलना 2017 के सेवर एक्यूट रिसपायरेट्री सिन्ड्रोम [एसएआरएस ]और मिडिल ईस्ट रिसपायरेटरी सिप्ड्रोम [एमईआरएस] से करें तो इस बीमारी से मरने वालों में क्रमश: मात्र दस व 34 प्रतिशत है जबकि उस समय सोशल मीडिया का बोलबाला नहीं था.विश्व में कोरानावरयरस के करीब 171,927 मामले इस लेख के लिखते समय तक पाये गये हैं जिसमें से6526 की मौत हो चुकी है. 77,790 लोगों को मौत के मुंह से बचा लिया गया है. अधिकांश मौत चीन में हुई है जबकि भारत में 115 पीडि़त पाये गये है और मौत दो बुजुर्गाे की हुई है.कई लोग जिन्हें पीडि़त बताकर एडमिट किया गया था वे चंगा होकर अपने घर पहुंच गये है. बुजुर्गो को कोराना वायरस ज्यादा तंग कर रहा है चूंकि उनके शरीर में डायबिटीज] ब्लड पे्रशर , दिल व गुर्दे की बीमारियां भी जुडुी हुई है उन्हें कोराना तेजी से घेर लेता है. चौकाने वाली बात तो यह भी है कि नौ साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा या युवक इससे पीडित होना नहीं पाया गया. सोशल मीडिया कई तरीकों से कोरोना वायरेस को लेकर सक्रिय है.मजाक उडाने में तो वे माहिर है ही लेकिन कुछ बाते अच्छी भी है. इनमें एक चिकित्सक का अच्छा वीडियों जारी हुआ है. जो अपने केबिन से बाहर निकलकर वहां बैठे मरीजो को अच्छा खासा लेक्चर देकर कहते हैं आपमें से किसी को डरने की जरूरत नहीं हैं. आप में से अधिकांश लोग प्रदूषण या एलर्जी से पीडि़त हैं. जिनका गला कफ के बाद सूख रहा है बदन में काफी दर्द हो रहा है व बुखार है वे ही यहां रूके बाकी जिनने पैसे जमा कराये हैं वे अपने हाथ को अच्छी तरह से धोते हुए घर चले जायें. उन्होंने छीक आने पर सामने की तरफ न छीकने व उसे अपने मुंह को कोहनी की तरफ छिपाकर छीकने की हिदायत दी है. कोराना वायरस की तुलना विशेषज्ञों ने 2010-11और 2018-19 में हुई मौतों से भी की है.यूएस के आंकडो के अनुसार 337,000 लोग 2010-11 में फलू से मारे गये. जबकि 2018-19 में 37444 व्यक्ति फलू से मरे. भारत में 2010-19 के बीच प्रति वर्ष 1,103 की मौत फलू से हुई. जो कि यूएस के आंकडो से चार गुना ज्यादा है. हम खाना खाने के बाद हाथ धोते हैं. मुंह ढकने के लिये पैसा खर्च करने की जगह कम से कम हर आधे घंटे में अपने हाथों की सफाई करें.हमेशा स्वच्छ रहने व सही खानपान से ही विश्वव्यापी करोना को टक्कर दिया जा सकता है. लोग बहुत कुछ कहते हैं.हम अपना ख्याल खुद रखें व विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह माने. यही करोना का बड़ी टक्कर होगी.