काला धन एक समानान्तर अर्थ व्यवस्था को पैदा करता है इससे देश का विकास रूक जाता है और उपभोक्ता वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में कमी होती है. ब्लेक मनी अर्थात् गैर कानूनी धन जीवन का एक धु्र्रव सत्य बन चुका है जो पिछले कुछ वर्षो के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचा रहा है. लोकसभा चुनाव में कालाधन एक अहम मुद्दा था, जिसके बल पर भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला.
नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो विदेशों में जो काला धन जमा है वे उसे भारत लायेगे और प्रत्येक व्यक्ति में खाते में पन्द्रह पन्द्रह लाख रूपये डालेंगे-यह वादा कब पूरा होगा यह तो पता नहीं लेकिन देश से कालाधन बाहर लाने के मामले में सरकार को एक विशेष सफलता हाल के महीनों में मिली- सरकार ने घरेलू आय घोषणा योजना (इनकम डिक्लेरेशन स्कीम) आईडीएस लागू की जिसके तहत देश के 64,275 लोगों ने 4 महीनों के दौरान 65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया.
घरेलू आय घोषणा योजना के तहत लोग अपने काले धन का खुलासा तय समय के भीतर करने पर से टैक्स और पेनाल्टी से बच गये. इसके तहत उन्हें काला धन को सार्वजनिक करना था जिसके बाद उनपर कोई कानूनी कार्रवाई होगी. सरकार ने इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा काला धन अपने खाते में लाने के लिये कई किस्म की कोशिशें की.इस स्कीम के तहत 45 फीसदी टैक्स और पेनाल्टी के बाद ब्लैकमनी को व्हाइट किया जा सकता था.
सरकार ने अभी जो वक्त दिया उससे जितने लोग काले से गोरे हो गये लेकिन अब जो बचे हैं उनकी संख्या इन गोरे हुए लोगों से बहुत ज्यादा है इनपर सरकार की जो कार्रवाही होगी वह कठोर तो होगी ही साथ ही ऐसे लोगों के पास से जो धन निकलेगा वह शायद इससे कई गुना ज्यादा होगा बशर्ते सरकार इस मामले में ईमानदारी से कठोर कार्रवाही बिना झिझक व बिना प्रभाव को देखे करे.सरकार की धमकी है कि 30 सितंबर के बाद से काला धन रखने वालों को कड़ी कार्रवाई और जेल जाने जैसे अंजामों को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. इस योजना में उम्मीद से कम ही सही लेकिन काले धन का खुलासा हुआ है. औसतन हर व्यक्ति ने 1 करोड़ रुपये का खुलासा किया.
हालांकि कुछ का ज्यादा है तो कुछ का कम इससे एक प्रशन यह भी पैदा होता है कि कई लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो कार्रवाही से बचने के लिये अपने छिपाये गये धन के कुछ हिस्से को बताकर सरकार की कार्रवाही से बचने का प्रयास कर गये? काले धन का व्यापार में प्रयोग न किया जाना तथा धन को केवल जोड़कर, छिपाकर रखना एक अच्छा आर्थिक विकास है, क्योंकि इस प्रकार धन की मात्रा में कमी करके मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखता है लेकिन जिस व्यक्ति के पास काला धन होता है वह उसका प्रयोग करना भी जानता है वह जानता है कि जीवन छोटा है इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण को जिया जाना चाहिए इसलिए वह अपने घर का विस्तार करता है, घर में बड़ेे शानो-शौकत एवं ऐय्याशी के साथ रहता है, शादी तथा अन्य उत्सवों पर धन पानी की तरह बहाता है अथवा सोना तथा ऐसे कीमती पत्थर जमीन, हीरे-जवाहरात खरीदता है, जिन्हें पास रखने में आसानी होती है.
पिछले कुछ वर्षो के दौरान देश में जहां कालेधन की बाढ़ आ गई वहीं विदेशी बैंकों में यह बहुत ज्यादा तादात में जमा होता रहा. सरकार अगर देश की तरह विदेश में जमा कालाधन भी बाहर लाने में कामयाब हो गई तो देश से गरीबी का जहां नामोनिशान मिट जायेगा वहीं लोग अच्छे काम धंधों में भी लग जायेगें. रोजगार को बढ़वा मिलेगा और विकास कार्यो को बल मिलेगा. अपराध की प्रवृत्ति में कमी आयेगी.
काले धन के स्वामी तथा नियंन्त्रक काले धन को स्थानीय तथा संसदीय निर्वाचनों में व्यय करने के लिए बचाकर रखते हैं, इसे वह एक प्रकार से उम्मीदवार के ऊपर किया गया अर्थविनियोग समझते है जो बाद में उनके लिए लाभकारी सिद्ध होता है वे इस बात से अच्छी तरह परिचित होते हैं कि यह अर्थविनियोग एक लम्बे समय का धन स्रोत संयोजन है और इसे वह उम्मीदवार पर उचित समय में प्रयोग करके उससे लाभ उठाते हैं इन प्रवृत्तियों पर अगर तेजी से लगाम लगता है तो संभव है आगे आने वाले दिन देश के प्रत्यके व्यक्ति के लिये अच्छे दिन में बदल जायें.