*जहां प्रेम, दया विश्वास जैसे आपके सच्चे मित्र रहेंगे..*
*वहां क्रोध,अहंकार, घमंड जैसे मतलबी मित्र आपके आसपास भी नहीं भटकेगे....*
*जो स्नेह हमे दूसरों से मिलता है,*
*वह हमारे चरित्र का तोहफा होता है।*
*पढ़ना एक गुना, चिंतन दो गुना,*
*और आचरण सौ गुना के बराबर होता है।*
*चरित्र निर्माण के तीन आधार स्तम्भ है,*
*अधिक निरीक्षण करना,*
*अधिक अनुभव करना एवं अधिक अध्ययन करना।*
*यह सोच कर दुखी नही होना चाहिए कि,*
*लोग हमे नही समझते....*
*क्योंकि तराजू में सिर्फ वजन को मापा जाता है..*
*गुणवत्ता को नहीं।*
*हमारा कर्म ही हमारी विजय है।*