पैसों की बदौलत ये कॉलोनी वाले न जाने अपने आप को क्या समझने लगते हैं। सबके घरों में समर लगी होती है इसलिए पानी की कोई कमी नहीं होती लेकिन टँकी भरने के बाद भी कई घण्टों तक टँकी से पानी गिरता रहता है। कोई समर बन्द करने को कह दे तो लड़ने को तैयार। यहाँ बहुत सारा पानी तो कार धोने व कुत्तों को नहलाने में बर्बाद कर दिया जाता है।
बस्तियों का हाल देखिये वहाँ दो तीन हैंडपंप दिख जाएंगे पर जमीन का पानी नीचे चले जाने से वो केवल शोपीस बन जाते हैं। चुंगी के नल में कुछ घंटे पानी आता है इसके लिए लोगों की काफी लंबी लाईन लगती है व पानी के लिए आपस में झगड़ा भी होता रहता है। पानी भरने के लिए इनके दो तीन घण्टे खराब हो जाते हैं केवल इसलिए क्योंकि अमीर लोग टँकी भरने के बाद अपनी समर बंद नहीं करते।
दूसरी समस्या है ए.सी.। आजकल ऐसे कूलर आ गए हैं जो पूरे घर को ठंडा कर सकते हैं लेकिन कॉलोनी वाले अपनी शान दिखाने के लिए ए.सी. जरूर लगायेंगे। किसी किसी के यहाँ तो 3-4 ए.सी. लगे रहते हैं। इन ए सी की गर्मी बाहर वातावरण में जाकर नमी को कम करती है जिससे दिन पर दिन गर्मी बढ़ती जा रही है। मार्च व अप्रैल में ही मई-जून जैसी गर्मी पड़ने लगती है। इन ए सी का नुकसान भी गरीबो को उठाना पड़ता है। बस्ती वालों पर इतना पैसा नहीं होता कि वो एक कूलर खरीद सकें। सड़क किनारे या फुटपाथों पर पंचर वाले, सब्जी वाले या दूसरे फड़ वाले कड़ी धूप में बैठने को मजबूर रहते हैं। गरीबों पर कोई ए सी कार या पक्की दुकान नहीं होती जो गर्मी का मौसम चैन से काट लें।