मध्य प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत श्रेय पीएम मोदी को जाता है। उन्होंने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान की शुरुआत की। अभियान के शुभारंभ के लिए वे खुद भोपाल आए। उन्होंने यहां से देश के हर बूथ के कार्यकर्ताओं से वर्चुअल संवाद किया। इसके बाद दूसरे राज्यों से आए अल्पकालिक विस्तारक एक सप्ताह के लिए दल बनाकर प्रदेश के सभी बूथों पर पहुंचे।
मध्य प्रदेश में पीएम मोदी ने खुद संभाला मोर्चा।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे हर बूथ को मजबूत करने की कार्ययोजना रही। पार्टी ने इसके लिए ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ अभियान शुरू किया। इसका लक्ष्य था- प्रदेश के सभी 64 हजार से अधिक बूथों पर पार्टी को 51 प्रतिशत से अधिक मत दिलाना। केंद्रीय नेतृत्व भी इसमें जुटा। अभियान के शुभारंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भोपाल आए।
उन्होंने यहां से देश के हर बूथ के कार्यकर्ताओं से वर्चुअल संवाद किया। इसके बाद दूसरे राज्यों से आए अल्पकालिक विस्तारक एक सप्ताह के लिए दल बनाकर प्रदेश के सभी बूथों पर पहुंचे। उन्होंने हर बूथ की ताकत और कमजोरी को चिह्नित किया। इसके बाद दूसरे राज्यों के विधायकों और फिर मंत्रियों की टीम भी बूथों पर पहुंची।
इस तरह से बनी कार्ययोजना
तीनों स्तर पर बूथों में दिखी कमियों को दूर कर उन्हें मजबूत बनाने की कार्ययोजना बनी। इसके अनुरूप काम हुआ, जिसका परिणाम सामने है। प्रदेश भाजपा का दावा है कि 29 हजार से अधिक बूथों पर पार्टी को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले हैं। जमीनी स्तर पर मजबूती के चलते ही पार्टी ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीत ली। मत प्रतिशत भी 41.02 प्रतिशत से बढ़कर 48.55 प्रतिशत हो गया।
किसान मोर्चा और महिला मोर्चा ने भी अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं को साधा
बूथों को मजबूत बनाने के लिए तकनीक का सहारा भी लिया गया। सभी बूथ का डाटा डिजिटलाइज किया गया। हर बूथ पर एक समिति बनाई गई। समिति के सदस्यों से कार्ययोजना पर लगातार संवाद के लिए वाट्सएप ग्रुप तैयार किया गया। नव मतदाताओं से संपर्क किया। इसी तरह, किसान मोर्चा और महिला मोर्चा ने भी अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं को साधा।
बूथों को सशक्त बनाने में इनकी रही बड़ी भूमिका
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और मप्र सहित छह राज्यों के प्रभारी शिवप्रकाश व प्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद ने बूथों को सशक्त करने में बड़ी भूमिका निभाई। दोनों ने पूरे प्रदेश में भ्रमण किया। कमियां देखीं और संगठन के स्तर पर बूथों को मजबूत करने की योजना बनाई।
संगठन की चुनौतियों को दूर कर हितानंद ने की व्यूह रचना
आरएसएस के प्रचारक हितानंद ने जब भाजपा में संगठन महामंत्री की बागडोर संभाली, तब पार्टी के सामने कई तरह की चुनौतियां थीं। सबसे पहली चुनौती तो उन 32 विधानसभा क्षेत्रों में थी, जहां कांग्रेस के विधायक और नेता भाजपा में आए थे। हितानंद ने कार्यकर्ताओं को एकरस कर दिया। हितानंद ऐसे हाईटेक नेता हैं, जिनके मोबाइल पर सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के चार चुनाव के परिणाम से लेकर बूथ के हर कार्यकर्ता का ब्यौरा मौजूद रहता है।