हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। माना गया है कि किसी भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस काम में किसी तरह की बाधा नहीं आती। गणेश जी की सूंड से लेकर उनके एक चूहे को वाहन बनाने तक के पीछे एक खास संदेश छुपा हुआ है।
गणेश जी से जुड़ी हर चीज देती है एक खास संदेश।
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 19 सितंबर से गणेश चतुर्थी के साथ गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव गणेश विसर्जन तक यानी 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
क्या संदेश देती है गणेश जी की सूंड:
गणेश जी का सिर एक हाथी का है, इसलिए उनकी एक सूंड भी है। जिसके कारण उन्हें व्रकतुंड भी कहा जाता है। भगवान गणेश की सूंड भी एक खास संदेश देती है। गणपति की सूंड हमेशा हिलती रहती है, जो इस बात की सीख देती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में क्रियाशील रहना चाहिए। ऐसा व्यक्ति ही शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है और किसी भी परिस्थिति का आसानी से सामना कर सकता है।
इसलिए चूहे को बनाया वाहन:
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान गणेश ने अपनी सवारी के रूप में इतने छोटे और दुर्बल जीव को ही क्यों चुना। इसके पीछे का कारण यह है कि गणेश कमजोर और दुर्बलों पर कृपा करते हैं। यही कारण है कि एक छोटे से चूहे पर कृपा करके उन्होंने इसे अपने वाहन के रूप में स्वीकार किया। साथ ही अपने आशीर्वाद से उसे इतना प्रबल बनाया कि वह गणेश भगवान का वजन उठा सके। गणेश जी का चूहे को वाहन बनाना इस बात का संकेत है कि संसार में कोई भी तुच्छ नहीं है बल्कि हर किसी की अपनी एक उपयोगिता और क्षमता है। इसलिए हर व्यक्ति को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।
काम के प्रति समर्पित हैं एकदंत:
गणेशजी का एक दांत पूरा है और दूसरा टूटा हुआ है। इसलिए उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। गणेश जी के टूटे हुए दांत के पीछे एक कथा मिलती है जिसके अनुसार, वेद व्यास जी की महाभारत को निर्विघ्न रूप से पूरा करने के लिए अपना एक दांत तोड़ दिया और उसकी कलम बना ली। इससे हमें सीख मिलती है कि हम जो भी काम कर रहे हैं उसे अपने पूरे समर्पण के साथ करना चाहिए तभी उस कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है। साथ ही गणेश जी का एक दांत यह भी संकेत देता है कि हमें हमारी अपूर्णता को भी स्वीकार करना चाहिए और उसके बिना भी प्रसन्न रहना चाहिए।
गणेश चतुर्थी का निष्कर्षण भगवान गणेश की पूजा और उपासना के साथ होता है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। यह पर्व भगवान गणेश की आराधना, देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में होता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसके दौरान भक्त गणेश जी के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करते हैं और प्रसाद बाँटते हैं। फिर इस प्रसाद को अपने घरों में बाट कर खाते हैं और इस प्रकार इस महत्वपूर्ण पर्व का आयोजन समाप्त करते हैं। गणेश चतुर्थी के इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य भक्ति, समर्पण, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।