सिक्किम में अचानक आई बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. बड़ी संख्या में पर्यटक फंसे हुए हैं।बचाव कार्य लगातार जारी है।
सिक्किम में अचानक आई बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है. जबकि 103 लापता लोगों की तलाश जारी है।इसकी जानकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तरफ से दी गई है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें बचाव और राहत कार्य कर रही हैं. बाढ़ में लापता भारतीय सेना के जवानों की भी तलाश जारी है। इस बीच, भारतीय सेना उत्तरी सिक्किम में फंसे नागरिकों और पर्यटकों को भोजन, चिकित्सा सहायता और संचार सुविधाओं के विस्तार में सहायता प्रदान कर रही है।लाचुंग और चुंगथांग इलाकों में फंसे 1471 पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।सेना के अधिकारियों ने बताया कि अगर आज मौसम साफ रहता है तो हेलीकॉप्टरों द्वारा फंसे हुए पर्यटकों को निकालने का अवसर मिल सकता है।इसकी योजना राज्य सरकार, सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा संयुक्त रूप से बनाई जा रही है।
भारतीय वायुसेना और सेना के हेलीकॉप्टर लाचेन, लाचुंग और चुंगथांग के लिए उड़ान भरने के लिए गुरुवार को तैयार थे, लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा नहीं कर सके। उत्तरी सिक्किम में स्थानीय लोगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनडीआरएफ की प्लाटून भी तैयार हैं। अधिकारियों ने बताया कि लापता 22 सैन्यकर्मियों की तलाश निचले इलाकों में ध्यान केंद्रित करते हुए की जा रही है क्योंकि संभावना है कि पानी का तेज बहाव उन्हें नीचे की ओर ले गया होगा।तीस्ता नदी में उफान से बुरी तरह प्रभावित सिंगताम शहर की स्थिति का जिक्र करते हुए पाठक ने कहा कि पास के औद्योगिक क्षेत्र सिंगताम और आईबीएम में पानी और बिजली के बुनियादी ढांचे की बहाली पूरी हो चुकी है।
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने आपदा में सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक सिंगताम का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का आग्रह करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार उनके पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे समर्पित बचाव दल इस आपदा से पैदा हुई समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. मैं प्रशासन, स्थानीय अधिकारियों, सभी संगठनों तथा व्यक्तियों से एकजुटता और सहयोग की भावना से हाथ मिलाने का आग्रह करता हूं। उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के कारण भारी मात्रा में जल जमा हो गया जो चुंगथांग बांध की ओर बह निकला. जल के तेज बहाव ने बिजली संयंत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया और निचले इलाकों में बसे शहरों और गांवों में बाढ़ आ गई।