परिचय: "एकात्म मानववाद" एक विचारशीलता है जो मानवता के समानता, एकता, और सामाजिक न्याय की प्रमुख भूमिका देती है। इस विचारशीलता के अनुसार, सभी मानवों को बिना किसी भिन्नता के समान अधिकार और स्वतंत्रता की प्राप्ति का अधिकार होता है, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म, जेंडर, या रंग के हों। एकात्म मानववाद का मुख्य उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना करना और एक समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज की रचना करना है। इसे समाज में समानता, शांति, और सहयोग की प्रमुख मूल्य माना जाता है।
एकात्म मानववाद एक राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में1965 में जनसंघ और बाद में भाजपा के आधिकारिक सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया था। इस सिद्धांत का वर्णन ' सार्वभौमिक ब्रदरहुड ' के रूप में भी किया जाता है, जो एक पूर्व थियोसोफिस्ट और फ्रीमेसन से प्रेरित घटना है। उपाध्याय ने सर्वोदय (सभी की प्रगति), स्वदेशी (घरेलू), और ग्राम स्वराज जैसे गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाया।(ग्राम स्वशासन) और सांस्कृतिक-राष्ट्रीय सिद्धांतों को और अधिक महत्वपूर्ण शीर्षक के लिए इन सिद्धांतों को चुनिंदा रूप से विनियोजित किया गया। ये मूल्य एक इकाई इकाई के रूप में राष्ट्र के प्रति एक व्यक्ति की मताधिकार पर आधारित थे।
एकात्म मानवतावाद प्रस्ताव वाले पं.दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा।
एकात्मक मानववाद का महत्व
एकात्मक मानववाद एक महत्वपूर्ण दारीय परिप्रेक्ष्य में मानव समाज की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समृद्धि के प्रति एक गंभीर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह दारी एकात्मकता का सिद्धांत प्रमोट करती है, जिसमें सभी मानव अधिकारों और अवसरों के साथ अवस्थित होते हैं और उनकी समृद्धि के लिए एक साथ काम करते हैं।
एकात्मक मानववाद का मूल उद्देश्य समाज में सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करना और दुनिया को एक बेहतर स्थिति में ले जाने के लिए साझा काम करना है। यह मानवीय अधिकारों, समाजिक न्याय, और वातावरणीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहता है।
एकात्मक मानववाद का महत्व भारतीय समाज में भी है। भारत के संविधान ने समाज में सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने और सभी नागरिकों को न्यायपूर्ण अवसर देने का उद्देश्य रखा है, जो एकात्मक मानववाद के सिद्धांतों के साथ मेल खाता है।
समाज में एकात्मक मानववाद को प्रोत्साहित करने के लिए, हमें सामाजिक न्याय की बढ़ती जरूरत है, शिक्षा के प्रति समर्पितता की बढ़ती आवश्यकता है, और सभी वर्गों के लोगों के लिए अवसर साझा करने का प्रयास करना होगा। इसके परिणामस्वरूप, हम एक समृद्ध, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण के साथ एकात्मक मानववाद की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, जिससे हम सभी के लिए बेहतर जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
1960 और 1970 के दशक के भारतीय राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख प्रवचनों के निर्माण और औषधालयों में मदद मिली। प्रेस्टीज जनसंघ और हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन को भारतीय राजनीतिक ढांचे के एक उच्च स्तर के किनारे के रूप में चित्रित करने के प्रयास में शामिल किया गया। गोलवाल के कार्यों की तुलना में यहां एक बड़ा बदलाव "भारतीय" शब्द का उपयोग था, जिसे रिचर्ड फॉक्स ने "हिंदी" के रूप में प्रस्तुत किया था, जो हिंदू भारतीय का संयोजन था। राजनीति में आधिकारिक वास्तविकता के कारण, "हिन्दू" का स्पष्ट संदर्भ प्रभावहीन हो गया था और भारतीय शब्दों के प्रयोग ने इस राजनीतिक वास्तविकता को उजागर करने की अनुमति दे दी थी।
"एकात्म मानववाद" का निष्कर्ष हो सकता है कि हम सभी मानव एक ही परंपरागत मानवता के हिस्से हैं और हमें एक-दूसरे के साथ समरसता और समरस जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। यह मानव समाज के विकास और शांति की दिशा में मदद कर सकता है और समाज के भलाइचा कल्याण से जुड़े अद्भुत मूल्यों की प्रतिष्ठा करता है।