विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं।
सनातन पंचांग के अनुसार, 2 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। यह पर हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ हर्षण योग समेत कई अद्भुत और शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दौरान पूजा करने से साधक को कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। आइए, शुभ योग के बारे में जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की चतुर्थी 02 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 36 मिनट से शुरू हुई है और अगले दिन यानी 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 02 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
सोमवार
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी सोमवार के दिन है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिव परिवार की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 37 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 06 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
अमृत काल - दोपहर 01 बजकर 49 मिनट से 15 बजकर 21 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - दोपहर 07 बजकर 43 मिनट से 09 बजकर 12 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक
दिशा शूल - पूर्व