Shardiya Navratri 2023: मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर आती हैं और 9 दिनों तक घर-घर में वास करती है।ऐसे में भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से माता रानी के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसका खास महत्व होता है।
हिंदुओं के बड़े त्योहारों में से एक नवरात्रि का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान पूरे 9 दिनों तक मां दर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा की जाती हैं।मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर आती हैं और घर-घर में वास करती है।इस दौरान सच्चे दिल से मां दुर्गा की उपासना करने से मांता रानी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के हर कष्ट दूर करती है।
नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का भी विशेष महत्व है। घर में विधि विधान से कलश की स्थापना करने से नकारात्मक उर्जा दूर रहती है और सकारात्मक उर्जा आती है।इसके साथ घर में सुख समृद्धि आती है और हर परेशानी दूर हो जाती है।कलश की स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। इस साल नवरात्रि से ठीक पहले सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। ऐसे में हर तरह की नकारात्मक उर्जा को दूर रखने के लिए सही विधि से और सही मुहूर्त में कलश की स्थापना करना बेहद जरूरी है।
कलश स्थापना का सही मुहूर्त
शारदीय नवरात्र हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं।इस साल ये तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के मुताबिक इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होंगे और कलश स्थापना भी इसी दिन होगी।कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है।इसके लिए शुरू मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना की सही विधि
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, लाल या पीले वस्त्र पहनें।इसके बाद एक चैकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापिक करें।इसके बाद कलश स्थापना के लिए एक तांबे या मिट्टी के कलश में साफ पानी या गंगाजल भरे और उसमें एक सिक्का, लाल चुनरी, सुपारी, लौंग डाल दें।इसके बाद एक नारियर लाल चुनरी और मौली बांधकर कलश के ऊपर रख दें।कलश के मुख पर भी मौली बांध दें. इसके बाद एक मिट्टी का पात्र लें और उसमें मिट्टी डालकर जौ बोएं।सारी चीजें करने के बाद कलश और जौ वाले पात्र को मां दुर्गा के दायीं ओर स्थापित कर दें और विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करें। इस दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।