चांद पर फिर सूरज उगा है और साउथ पोल पर धूप पहुंच गई है, लेकिन विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने जगने का अभी तक कोई सिग्नल नहीं भेजा। ISRO के साइंटिस्ट लगातार कोशिश कर रहे हैं। अगर विक्रम और प्रज्ञान एक्टिव हो जाते हैं, तो ये एक अप्रत्याशित सफलता होगी।
विक्रम और प्रज्ञान। इन्होंने अब तक क्या-क्या हासिल किया और क्या बचा; इस पोजिशन में चंद्रयान-3 को पूरी तरह कामयाब कहेंगे या नहीं?
ISRO के मुताबिक, विक्रम लैंडर के कुछ सर्किट्स को सोने नहीं दिया था, वो जग रहे थे। इसके बावजूद चांद पर दिन होने के बाद जब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की कोशिश की जा रही है तो उनसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
रोवर को शिव शक्ति पाइंट से 300 से 350 मीटर की दूरी तक भेजने का प्लान था। अभी उसे चांद पर पानी की मौजूदगी का भी पता लगाना था। ऐसे में अगर रोवर जग जता है तो दोबारा उसे काम में लगाया जाएगा।
कुछ वैज्ञानिकों को ये उम्मीद है कि लैंडर और रोवर दोबारा से काम कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ये वरदान साबित होगा और सभी मून मिशन में ये प्रयोग दोहराया जाएगा।
वहीं, ISRO का कहना है कि अगर लूनर नाइट के दौरान ठंड में लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम खराब नहीं होते हैं तो दोबारा से ये जग सकते हैं। हालांकि, अब तक वैज्ञानिकों को इसमें सफलता नहीं मिली है।
स्पेस एप्लिकेशन सेंटर यानी SAC के डायरेक्टर निलेश एम देसाई का कहना है कि लैंडर और रोवर के जगने की फिफ्टी-फिफ्टी संभावना है। इतने ठंडे मौसम में भी अगर लैंडर-रोवर के कलपुर्जे खराब नहीं होते, तो ये बड़ी जीत होगी। अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो भी इसका मिशन पूरा हो चुका है।
अगर एक बार लैंडर और रोवर जगे तो क्या होगा?
ISRO के साइंटिस्ट तपन मिश्रा का कहना है कि अगर एक बार लैंडर और रोवर जग गए तो फिर उन्हें सालों तक इस्तेमाल किया जा सकता है। हर बार लैंडर और रोवर को रात होने से पहले सुलाना और दिन होने के बाद जगाना संभव होगा।
उन्होंने कहा कि लैंडर और रोवर ने कई पदार्थों की जानकारी दी है। दोनों फिर से जगे तो हाइड्रोजन का पता करना संभव होगा। अगर हाइड्रोजन मिलता है तो पानी का चांद पर होना तय माना जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हाइड्रोजन पानी के अलावा किसी दूसरे पदार्थ का कंपाउंड नहीं है।