भारत के अर्जुन सिंह और सुनील सिंह सालाम ने एशियाई खेलों में मंगलवार को पुरुषों की केनोए 1000 मीटर डबल्स स्पर्धा में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता। भारतीय जोड़ी ने 353.329 सेकेंड का समय निकालकर तीसरा स्थान हासिल किया। एशियाई खेलों के इतिहास में केनोए में भारत का यह दूसरा ही पदक है। सदानंदन और रोमेल ने इससे पहले 1994 में हिरोशिमा खेलों में इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।
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भारत के सिजि सदानंदन और जानी रोमेल ने इससे पहले 1994 में हिरोशिमा खेलों में इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था।मणिपुर के बिष्णुपुर के रहने वाले 24 वर्ष के सुनील दूसरी बार एशियाई खेलों में उतरे हैं । वहीं 16 वर्ष के अर्जुन उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले हैं लेकिन अब उत्तराखंड के रुड़की में रहते हैं। सुनील और अर्जुन के लिए यह पदक उनके जीवन में कठिन परिस्थितियों के बावजूद की गई कड़ी मेहनत का परिणाम है।
पदक जीतने के बाद सुनील ने कहा, मेरे पिता इबोयिमा सिंह मछुआरे हैं। जब मैंने इस खेल को शुरू किया था तो यह काफी मुश्किल था। नाव और दूसरे उपकरण काफी महंगे है। पैडल का खर्च कम से कम 40,000 रुपये और नाव की कीमत चार से पांच लाख रुपये है। शुरुआत में परिवार और रिश्तेदारों ने मेरी आर्थिक मदद की लेकिन 2017 में भारतीय सेना से जुड़ने के बाद मैं अपना खर्च खुद उठा रहा हूं।'
साई के भोपाल केंद्र में प्रशिक्षण लेने वाले अर्जुन ने कहा, मेरे पिता का निधन हो गया है और मेरी मां दवा कारखाने में काम करती है। वह महीने में आठ से 10 हजार रुपये ही कमा पाती हैं। हम किराये के मकान में रहते हैं। इतनी कम कमाई के साथ गुजारा करना काफी मुश्किल है। मेरी मां ने काफी परेशानियों का सामना किया है। कक्षा 12 के छात्र अर्जुन ने कहा, मैं भोपाल के साइ केंद्र में हूं और अब चीजें बेहतर हैं। वहां अच्छे से मेरा ख्याल रखा जाता है।'