गांधी vs गोडसे
महात्मा गांधी और नाथुराम गोडसे दो भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे, लेकिन उनके दृष्टिकोण और आदर्श बिल्कुल विभिन्न थे। महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे, जिन्होंने अहिंसा, सत्याग्रह, और सर्वोदय के मूल्यों का पालन किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अहिंसा के माध्यम से ले जाने का प्रयास किया और भारतीय जनता को जागरूक किया।
विपरीत, नाथुराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, जिसे 30 जनवरी 1948 को न्यू दिल्ली में किया गया था। गोडसे के मोटिवेशन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के अहिंसा के प्रति असहमति थी, और वह उन्हें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हत्या करने का समर्थन करते थे।
नाथूराम हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक था। उसने बहुत ही करीब से गांधीजी की छाती में तीन गोलियां मारी थीं, जिससे राष्ट्रपिता का निधन हो गया। आइए आज जानते हैं कि नाथूराम कौन था और उसने गांधीजी की हत्या क्यों की..नाथूराम का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसने हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। फिर वह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गया था। ऐसा दावा किया जाता है कि गोडसे अपने भाइयों के साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ा था। बाद में उसने 'हिंदू राष्ट्रीय दल' के नाम से अपना संगठन बनाया था जिसका मकसद स्वतंत्रता के लिए लड़ना था।
गोडसे ने अपना खुद का समाचार पत्र भी निकाला था जिसका नाम 'हिंदू राष्ट्र' था। उसकी लेखनी में काफी रुचि थी। उसके विचार और आर्टिकल कई समाचारपत्रों में छपते थे।
शुरू में वह महात्मा गांधी का पक्का अनुयायी था। गांधीजी ने जब नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ा तो उसने न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया बल्कि बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया। बाद में वह गांधीजी के खिलाफ हो गया। उसके दिमाग में यह बात बैठ गई कि गांधीजी ने अपनी 'आमरण अनशन' नीति से हिंदू हितों का बार-बार गला घोंटा है।
महात्मा गांधी की हत्या क्यों की?
गांधीजी की हत्या के बारे में बहुत सी थ्योरियां दी जाती हैं। उस पर कई आर्टिकल लिखे गए हैं और कोर्ट की कार्यवाहियों में भी बार-बार हत्या का जिक्र हुआ है। लेकिन हत्या के पीछे असल कारण क्या था, उसके बारे में अब तक कुछ ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। किस राजनीतिक पार्टी के इशारे पर ऐसा हुआ, लिखने के लिए काफी स्याही बर्बाद की गई लेकिन कोई भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। वैसे कहा जाता है कि उसने कई बार पहले भी गांधीजी की हत्या की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हुआ। 30 जनवरी को वह अपने मकसद को पूरा करने में सफल रहा।
कुछ संभावित कारण
ऐसा माना जाता है कि ये कुछ कारण थे जिस वजह से नाथूराम ने गांधीजी की हत्या की...
उसका मानना था कि गांधीजी देश के विभाजन के जिम्मेदार थे। गोडसे को लगता था कि गांधीजी ने दोनों तरफ अपनी अच्छी छवि बनाने के चक्कर में देश का बंटवारा करवा दिया।
गोडसे का यह भी मानना था कि तत्कालीन सरकार मुस्लिमों का अनुचित रूप से तुष्टिकरण कर रही है और यह सब गांधीजी की नीतियों के कारण हो रहा है।गोडसे उस वक्त बहुत टेंशन में आ गया था जब उसको पता चला कि कश्मीर समस्या के बावजूद जिन्ना ने गांधीजी के पाकिस्तान दौरे की सहमति दी है। उसको लगा कि यह सब इसिलए हो रहा है क्योंकि गांधीजी का मुस्लिमों के प्रति कुछ ज्यादा ही दया वाला भाव है और हिंदुओं की भावनाओं की परवाह नहीं है। गोडसे ने खुद गांधीजी के बारे में कहा था, 'वह एक साधु हो सकते हैं लेकिन एक राजनीतिज्ञ नहीं है।'
एक तर्क यह भी दिया जाता है कि कांग्रेस के सदस्यों ने पाकिस्तान को वादे के बावजूद 55 करोड़ रुपये नहीं देने का फैसला किया था। गांधीजी चाहते थे कि कांग्रेस वह फैसला पलट दे। उन्होंने इसके लिए आमरण अनशन की भी धमकी दी थी। गोडसे को लगा कि गांधीजी मुस्लिमों के लिए ऐसा कर रहे हैं।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार किया गया और उस पर मुकदमा चला। पंजाब हाई कोर्ट में 8 नवंबर, 1949 को उसका ट्रायल हुआ। 15 नवंबर, 1949 को उसे अंबाला जेल में फांसी की सजा दी गई।