ब्रज के सभी मंदिरों में स्थापित भगवान साल में एक बार नौका विहार करते है. इसके पीछे मान्यता के ही द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ नौका विहार किया था। तभी से साल में एक बार हर मंदिर में भगवान को नौका विहार कराया जाता है।
वृंदावन के दक्षिण शैली के मंदिर श्री रंगनाथ मंदिर में सोमवार को एक दिव्य उत्सव का आयोजन किया गया।जिसमें भगवान ने निज मंदिर से निकलकर भक्तों को नौका में बैठ कर दर्शन दिए. गौरतलब है कि श्री रंगजी मंदिर पूरे उत्तर भारत में सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। श्रीरंगजी मंदिर में दक्षिण और उत्तर भारतीय दोनों परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण मिलेगा।
ब्रज के सभी मंदिरों में स्थापित भगवान साल में एक बार नौका विहार करते है। इसके पीछे मान्यता के ही द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ नौका विहार किया था। तभी से साल में एक बार हर मंदिर में भगवान को नौका विहार कराया जाता है।
नौका विहार से पहले भगवान रंगनाथ और गोदामाता स्वर्ण पालकी में विराजमान हो कर निज मंदिर से बाहर निकले. जिसके बाद मंदिर की परिक्रमा कर बारहद्वारी के समक्ष मंदिर सेवायतों ने भगवान की सवारी के वैदिक मंत्रोंचरण के साथ आरती की।
जिसके बाद भगवान की सवारी मंदिर में मौजूद पुष्करणी सरोवर पर पहुंची. जहां भगवान ने नौका में बैठ कर नौका विहार किया और भक्तों को दर्शन दर दिये।