भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता लाल बहादुर शास्त्री का 2 अक्तूबर को जन्म हुआ था। गांधी जयंती के साथ ही इस दिन शास्त्री जी की भी जयंती मनाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री का जीवन सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता का आदर्शपूर्ण उदाहरण है। जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद जब देश को एक नए प्रधानमंत्री की जरूरत थी, तो लाल बहादुर शास्त्री का नाम सामने आया। उन्हें देश का प्रधानमंत्री रहते हुए अपना कर्तव्य बखूबी निभाया।
आजादी की जंग के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी, महज 17 साल की उम्र में वह जेल गए थे। आजादी का नारा दिया, जो देशवासियों की जुबां पर एक जुमले की तरह रहता। उनके सिद्धांत, उनका संपूर्ण जीवन ही प्रेरणा बन गई। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद उनके परिवार के पास न तो अपना घर था और न संपत्ति। वह एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपने पद से लाभ लिया नहीं, बल्कि सरकार और देश को सेवा दी।
लाल बहादुर शास्त्री के विचार और मूल्य भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनके कार्य और योगदान को समर्थन देने का संकल्प आज भी हमारे बीच बना हुआ है।
जय जवान, जय किसान
यह उनका प्रसिद्ध नारा था, जिसका मतलब था कि भारतीय सेना और किसान दोनों ही राष्ट्र के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस नारे को भारतीय समाज ने बड़े प्रेम और समर्थन के साथ अपनाया था।
अहिंसा और शांति का पालन करे
लाल बहादुर शास्त्री गांधीजी के अहिंसा और शांति के मूल्यों के प्रति समर्पित थे। उन्होंने विश्व शांति और सहमति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सब कुछ ठीक होगा
इस वाक्य का उन्होंने जीवन के सभी परिस्थितियों में अधिकतम स्थायी और आत्मविश्वास के साथ प्रयोग किया। जब भी जीवन में मुश्किल महसूस हो, इस बात की उम्मीद रखें कि सब ठीक होगा।
हम खुद के लिए ही नहीं,
बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।