प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मध्यप्रदेश दौरे पर आए। उन्होंने भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यकर्ता महाकुंभ में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन, महिला आरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर भी हमला कि।
मध्य प्रदेश के मन में क्या है..
पीएम ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में मध्यप्रदेश से भाजपा के वर्षों से चले आ रहे जुड़ाव पर बात की। उन्होंने कहा, 'मेरे परिवारजनों, मध्य प्रदेश को देश का दिल कहा जाता है। भाजपा के साथ देश के इस दिल का जुड़ाव कुछ विशेष ही रहा है। जनसंघ के जमाने से आजतक भाजपा को एमपी के लोगों ने हमेशा भरपूर आशीर्वाद दिया है।'
कांग्रेस की पुरानी सरकारों के जरिए पार्टी पर हमला
अपने भाषण में पीएम ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर बात की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार को लगभग 20 साल पूरे हो गए हैं, यानी जो युवा इस बार के चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे, उन्होंने भाजपा की सरकार को ही देखा है। ये युवा सौभाग्यशाली हैं कि इन्होंने एमपी में कांग्रेस का वो बुरा शासन, वो बुराइयां नहीं देखी हैं। एमपी में कांग्रेस के शासन की पहचान थी कुनीति, कुशासन और करोड़ों का करप्शन। आजादी के बाद मध्य प्रदेश में लंबे समय तक कांग्रेस का ही शासन रहा लेकिन कांग्रेस ने साधन संपन्न मध्य प्रदेश को बीमारू बना दिया।
'कांग्रेस जंग लगा हुआ लोहा है'
पीएम ने भाषण में कहा कि कांग्रेस के पास भविष्य की सोच ही नहीं बची है। कांग्रेस जंग लगा हुआ वह लोहा है जो बारिश में रखे-रखे खत्म हो जाता है। आप देखेंगे कि कांग्रेस विकसित भारत से जुड़े हर प्रोजेक्ट की आलोचना करती है। कांग्रेस ने डिजिटल इंडिया का विरोध किया, आज भारत के यूपीआई से पूरी दुनिया मंत्रमुग्ध है, लेकिन कांग्रेस को ये भी पसंद नहीं है।
भोपाल में PM modi
गठबंधन पर प्रहार
अपने भाषण के दौरान पीएम ने कई बार कांग्रेस के साथ पूरे इंडिया गठजोड़ को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, "मौका मिलते ही घमंडिया गठबंधन के लोग माताएं-बहनों को धोखा देने का तय करने बैठे हैं। घमंडिया साथी वही हैं जिन्होंने महिला आरक्षण बिल के पास न होने देने के लिए हर मर्यादा खो दी। ये नया खेल खेलेंगे। ये नारी शक्ति को बांटने की कोशिश करेंगे। नारी शक्ति एक न हो इसलिए अफवाहें फैलाएंगे। हर माता, बहन-बेटी को सतर्क और एकजुट रहना होगा। ये वही लोग हैं, जिन्होंने देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति मुर्मू को राष्ट्रपति बनने से रोकने का प्रयास किया। उनकी नियत ठीक नहीं थी।"