भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने बताया अंतरिक्ष यान एकदम सही स्थिति में है और सूर्य की ओर बढ़ रहा है।
isro aditya l1 mission - फोटो : सौजन्य से अमर उजाला
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूरज के पास जा रहे आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान ठीक से काम कर रहा है। वह लगातार सूर्य की ओर बढ़ रहा है।
इसरो ने कहा, 'अंतरिक्ष यान एकदम सही स्थिति में है और सूर्य की ओर बढ़ रहा है। छह अक्तूबर को 16 सेकंड के लिए इसमें एक सुधार किया गया था। इस प्रक्रिया को प्रक्षेपवक्र सुधार संबित बदलाव किए गए हैं, जिसे ट्राजेस्टरी करेक्शन मैनुवर (टीएमसी) नाम से भी जाना जाता है।’
इसरो ने एक बयान में कहा है कि 19 सितंबर को किए गए ट्रांस लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1I) को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किए गए पथ को सही करने के लिए इसकी आवश्यकता थी। टीसीएम यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यान एल1 के आसपास हेलो कक्षा सम्मिलन की ओर अपने पथ पर है। जैसे-जैसे आदित्य-एल1 आगे बढ़ता रहेगा, मैग्नेटोमीटर कुछ दिनों के भीतर फिर से चालू हो जाएगा।
पिछले महीने हुई थी लॉन्चिंग
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से हुई थी। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।
15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1
जानकारी के अनुसार, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा की यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
तारों के अध्ययन में सबसे ज्यादा मदद करेगा
इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता।