धारा 370 जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार आखिरकार आज खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है।
1947 से 2019 तक... आर्टिकल 370 बनने से हटाने तक की पूरी कहानी।
जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार आखिरकार आज खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है।
केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लाकर अनुच्छेद-370 और 35ए के विभाजनकारी प्रस्तावों को खत्म कर दिया था और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
केंद्र के प्रस्ताव को जम्मू-कश्मीर के कुछ दलों और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में 16 दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, आज कोर्ट का फैसला आ गया है। ऐसे में एक नजर डालते हैं इस विवादास्पद मुद्दे की टाइमलाइन पर।
जम्मू-कश्मीर विवाद की पूरी टाइमलाइन।
1947: 1947 को जम्मू और कश्मीर के आखिरी राजा महाराजा हरि सिंह ने भारत में शामिल होने को लेकर एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
1950: 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ। जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद-1 के तहत भारत का एक राज्य घोषित किया गया। जबकि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा आर्टिकल 370 ने दिया।
1951: जम्मू-कश्मीर के संविधान का मसौदा तैयार करने को लेकर संविधान सभा की पहली बैठक हुई। इसमें सभी सदस्य शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से थे।
1952: जम्मू-कश्मीर संविधान सभा में कश्मीर के नेताओं ने केंद्र सरकार के साथ चर्चा की। इसमें केंद्र और राज्य के संबंधों को लेकर एक समझौता भी हुआ।
1956: जम्मू-कश्मीर ने साल 1956 में खुद को भारत का अभिन्न अंग घोषित कर दिया और अपना संविधान अपनाया।
1975: इंदिरा गांधी और शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें आर्टिकल 370 और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को भारत के अभिन्न अंग के रूप में फिर से पुष्टि की गई।
1980-90: 80 और 90 के दशक में कश्मीर आतंकी गतिविधियों से जूझता रहा है। इस दौरान कश्मीरी पंडितों का पलायन भी हुआ।
2015: मार्च 2015 में भाजपा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में पहली बार सरकार बनाई।
2018: साल 2018 में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूट गया। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नवंबर 2018 में विधानसभा भंग कर दी।
अगस्त 2019: केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर से संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने के लिए एक बिल को संसद से पेश किया था, जिसे मंजूरी मिलने के बाद आर्टिकल 370 निरस्त हो गया।
2023: सुप्रीम कोर्ट जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर 16 दिन तक सुनवाई चली। इस मामले में दो अगस्त को बहस पूरी हुई और पांच सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया।
11 दिसंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल, चार महीने 6 दिन के बाद आर्टिकल 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाया। बता दें कि 5 अगस्त 2019 को सरकार ने संसद में बिल लाकर आर्टिकल 370 को रद कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है।