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मानसिक स्वास्थ्य

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बिगड़ा हुवा है आज तक कितनो का मानसिक स्वास्थ,ऑनलाइन तो दोस्त सारे हकीकत में कोई ना जाने हाल,दिल तो तड़पे पाने को यहां सिर्फ़ एक ऐसा इंसान जो,तुमसे ज्यादा जाने तुम्हें हर हाल में आकर खड़ा रहे वह 

डियर काव्यांक्षी                      कैसी हो प्यारी 🥰मैं तो मजे में हूं । और कोई कितनी भी कोशिश कर ले। हमे दुखी करने की उनकी कोशिश नाकामयाब करे

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मानसिक स्वास्थ्य का व्यक्ति की दिनचर्या स्वाभाव पर काफी असर पड़ता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो उसका हर काम काफी अच्छे से होता है क्यों की वो अच्छे मनोस्तथी मे होता है।  लेकिन,

मनुष्य के जीवन में जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है उससे ज्यादा उसे मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य ही उसकी बुद्धिमत्ता की की वास्तविक परख होता है।एक व्यक

महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है।  यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता।  मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ

डियर दिलरुबा दिनांक-11/9/22 दिन-रविवार तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो, तुम्हें ग़मकी कसम अपनी निगेहबानी मुझे दे दो। हां दिलरुबा तुम्हारे लिए ही तो लिख रही हूं,,,, तुम आजकल कुछ ज्यादा प

स्वास्थ्य शरीर में बसता है,स्वस्थ मन उसमें रमता है।स्वास्थ्य उत्तम होगा यदि,खेलकूद मन को सूझता है।।जीवन में होता मुख्य स्थान,उत्तम स्वास्थ्य से हो महान।स्वस्थ जीवन अमूल्य निधि,स्वस्थ रहो तुम बहु बिधि।

शरीर को चलाने के लिये भोजन की आवश्यकता होती है | जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा बनती है | व हमारे शरीर के प्रत्येक के अंग को उर्जा मिलती है जिससे हमारा शरीर कार्य को करने में अपनी उर्जा लगाता है | "जिस प्

नेहा तुम्हारी तबियत तो बहुत खराब है मां ने कहा, नहीं मां हल्का सा बुखार है जल्दी ठीक हो जाएगा,अरे शरीर तप रहा है और तू कह रही हल्का सा है अरे मां, तुम भी जरा जरा सी बात पर टेंशन ले लेती हो ओहो आजकल के

प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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हम सभी जानते है कि अवसाद एक मानसिक बीमारी है| अवसाद के रोगी न सिर्फ पश्चिम देशो में अपितु भारत में भी बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे है, विश्व स्वास्थ्य स्वास्थ्य संगठन के अनुसार

आइये मिलते है नेहा से एक २० वर्षीय युवती है जिसे सेल्फ़ी लेने की आदत सी है वह जहां जाती है वहाँ अपनी 4-5 सेल्फ़ी लेती है, और फिर उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारो के बीच दिखाती (शेयर करती) है। दोस्तों नेहा सिर्फ एक उदहारण है कि आज के युवाओं में सेल्फ़ी का कितना क्रेज है,हर सेकंड अकेले फेसबुक पर दस

हम अपनी सोच और भावनाओं को पंख देने के लिए काल्पनिक कथा और कहानियां पढ़ते हैं। कल्पना की दुनिया अनोखी होती है; उसका वास्तविक घटना और लोगों से मेल होता भी है, और कभी कभी नहीं भी होता। पर काल्पनिक चरित्र और लोग हमें अकसर प्रभावित करते हैं।हम उनके साथ जुड़ते हैं, उनसे मेलजोल करते हैं, और देखते ही देखते

दूसरों को समझने के लिए उनके जज़्बातों को नाम देना ज़रूरी है।"मैं तंग आ चुकी हूँ... अब और नहीं, मैंने सोच लिए है, की मैं उससे जल्द ही ब्रेक अप कर लूंगी", ऐसी बातें हमको रोज़ सुनने को मिलती हैं। हमारे दोस्त हमसे अपने दिल की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में, हम कैसा जवाब देते हैं? ज़्यादा तर समय हम कहते हैं "त

 भारत अब धीरे धीरे स्वच्छ बन रहा है। कलंक और गलत भावनाओं से मुक्त होने के लिए भारत सरकार ने अहम कदम उठाया है, मेन्टल हेल्थ केयर बिल 2013 को राज्य सभा ने सोमवार को  पास किया है, और उसे जल्द ही लोक सभा में भी पढा जाएगा।पिछले दिन quora में किसी ने मुझसे पूछा, कि वह  एसपर्जर सिंड्रोम (Asperger’s Syndrom

 (यह लेख सुप्रसिद्ध साइकेट्रिस्ट (मनोरोग-विशेषज्ञ) डॉक्टर सुशील सोमपुर के द्वारा लिखे लेख का हिंदी रूपांतरण है।) जो व्यक्ति अवसाद की स्थिति से गुजर रहा होता है, उसके लिए ये कोई पाप की सजा या किसी पिछले जन्म के अपराध की सजा के जैसी लगती है, और जिन लोगों का उपचार किया गया और वे बेहतर हो गए उन्हें ये क

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