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मानसिक स्वास्थ्य

hindi articles, stories and books related to Mansik swasthya


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प्रणाम सद्गुरू,                      जल ही जीवन है । जल हमारे लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। जलस्तर एकदम नीचे चला गया है। अब गाँवो में भी कई गाँवो का बोर सूखता जा रहा है ।अप्रैल के आते तक

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प्रणाम सद्गुरू,                    हाँ, हमने शोषण ही शोषण किया है। पेड़ पौधे द्रुत गति से काट डाले जंगलो को नष्ट कर डाला। शहर से लगे आसपास के गांव अब शहर बन गए । अब ये शहर बनकर अपने आसपास के गां

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प्रणाम स्वामी जी,                    हाँ,हमारा दृष्टिकोण निर्भर करता है कि हम कैसे देखते है। किसी घटना को हम कैसे लेते है जैसे एक गिलास पानी से आधा भरा है इसकी दो दृष्टिकोण हो सकता है एक तो गिला

माँ हम जिसे पूजते है उसे कई रुपो में मानते है। कोई माँ कहता है कोई ईश्वर कोई परमात्मा कोई भगवान तो कोई अल्लाह कहता है। उस निराकार को लोग दो रुपो में विभाजित करते है एक पुरुष रुप व एक स्त्रैण रुप। इस

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प्रणाम आचार्य जी,                         हाँ यदि हमे स्पष्ट दृष्टि मिल जाए तो हम समझ सकते है। उस दिशा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं जो जन कल्याणकारी होगा सत्य की ओर बढ़ सकते है।                जब किस

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प्रणाम सद्गुरू,                      मनुष्य को अभी तक पता नही है क्या है सुख, क्या है आनन्द। हम अपना बीमा कराते है ताकि परिवार के सदस्यो को आर्थिक संकट से गुजरना न पड़े। मनुष्य कभी हसता है कभी रो

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प्रणाम गुरुदेव ,                    हाँ, प्रार्थना में वो शक्ति है जो हमको सम्बल व शक्ति प्रदान करता है। अपने आस पास पूजा व प्रार्थना करते हम देखते है क्या ये यही प्रार्थना है। हम प्रेयर में क्य

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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, कोई फूल खिलता है तो उसकी सुगंध फैल जाता है चाहे कोई उसकी खुशबू ले या ना ले। इसकी वह परवाह नही करता वह खिलने में ही पूर्ण है। उसकी सुगंध पाकर कीट पतंग व

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प्रणाम सिस्टर,              येस, हम किसी को दोष क्यो दे जबकि सारा हमारा किया कराया है ।    हमारे अन्दर जरुर फूलो का खज़ाना होना चाहिए न कि काँटो का। शुभ सोचेंगे ,शुभ करेंगे तो वही वापस होकर बर

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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, हम रोजाना दैनिक क्रिया करते है। जिसमे पाचों इन्द्रियों का उपयोग होता है। जैसे हम खाना खाते है जीवन के लिए जो आवश्यक है पर जीभ से स्वाद लिया जाता है कभी

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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, क्रोध बुरा है समाज व खुद के लिए यदि क्रोध करेंगे तो लोग हमसे नाराज होंगे और क्रोध को रोकेंगे तो वह ऊर्जा हमे अंदर रुग्ण करेगी। क्रोध को हम दबा भी नही सक

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प्रणाम सद्गुरू,                     हाँ, योग हमारे भौतिक शरीर को निराकार रुप में ले जाता है। वह प्रकृति के साथ हमे उस ऊर्जा से जोड़ देता है जो सर्वशक्तिमान है। सामान्यतः लोग योग का अर्थ शारिरीक व

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प्रणाम सद्गुरू                  हाँ, जागरुकता बहुत बड़ी कीमिया है । आमतौर पर हम जिसे जागरुक होना कहते हैं वो एक साधारण जीवन चर्या है जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में जीते है । जागरुक एक अलग ही बात है

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प्रणाम सद्गुरू,                   एकादशी के दिन हम जागरुक हो सकते है अन्य दिन की अपेक्षा प्रकृति इस दिन हमे हमारी ऊर्जा को ऊपर उठाने में मदद करता है । हम अपनी जागरुकता को बढ़ा सकते हैं जितनी हम ज

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प्रणाम सिस्टर,                    Yes; हम प्रसन्न आत्मा है। हम शांत है ही शांत होना हमारा स्वभाव है। हमारे परिधि में कुछ भी होता रहे पर केन्द्र में कोई हलचल नही होता वह अछुता है सुख दुख उसके लिए

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प्रणाम सद्गुरू;                 जब मन व शारीरिक शक्ति एक हो जाए तो निश्चित ही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है । लेकिन कहते हैं हमारे पास एक और शक्ति का स्रोत है जो जितना उपयोग होता है उतनी सामर

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प्रणाम सद्गुरू,            हाँ सद्गुरू जिस प्रकार से एक पौधा पूरी तरह से खिल उठता है वातावरण में सुगंध बिखेर देता है उसी प्रकार से मनुष्य के जन्म का उद्देश्य अपनी पूरी संभावना के साथ खिल उठना है

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प्रणाम सद्गुरू,                 मेडीटेशन (meditation) आज के युग की आवश्यकता है और प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान जरुर करना चाहिए । ध्यान से ही शरीर व मन में अंतर महसूस कर पाते है ।ये बड़ा गम्भीर मामला

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प्रणाम सद्गुरू, हाँ ;यदि हम निरंतर ये याद रखे की इस पृथ्वी पर हम मेहमान है कुछ समय के लिए आए हैं तो हमारा कदम अच्छाइयों की ओर होगा। हम बेकार चीजो में उलझे रहते है जबकि हमे यहाँ अधिक समय तक रहना न

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जीवन के रास्ते से गुजरते हुए मैं कईयों को देख द्रवीभूत हो जाता हूँ जिसके सपने सजते-सजते नील गगन के तारों की तरह बिखर गए जिसे संजोया जाना या पुनः एकत्रित करना असंभव सा महसूस होने लगा। जिसने जीवन के तमा

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