छठ पूजा नहाय-खाय से शुरू होती है और उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होती है। मुख्य रूप से इस त्योहार को बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल ओडिशा और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। आज छठ पूजा का दूसरा दिन है जिसकी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी यहां साझा की गई है जो इस प्रकार है-

छठ पूजा के व्रत का सनातन धर्म में खास महत्व है। यह विशेष पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है। यह त्योहार दिवाली के छह दिन बाद और कार्तिक मास में छठे दिन मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय पर्व है। छठ पूजा नहाय-खाय से शुरू होती है और उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होती है।
मुख्य रूप से इसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। आज छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसकी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी यहां साझा की गई है, जो इस प्रकार है-

खरना पूजा का महत्व
खरना पूजा का छठ पर्व में खास महत्व है। खरना का अर्थ है, शुद्धिकरण। ऐसा माना जाता है कि जहां पहले दिन यानी नहाय-खाय से शरीर शुद्ध होता है, वहीं दूसरे दिन यानी खरना में आत्मा और मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है।
इस साल खरना 18 नवंबर यानी आज मनाया जा रहा है।
इस दिन, व्रती सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना पानी पिए पूरे दिन का कठिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को छठी मैया की पूजा करते हैं और खरना प्रसाद से अपना उपवास तोड़ते हैं।
खरना प्रसाद के नियम
खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर गुड़ और अरवा चावल से रसिया-खीर तैयार की जाती है।
छठ पूजा में साफ-सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखना चाहिए।
छठी माता को भोग अर्पित करने के बाद, व्रती प्रसाद खाते हैं और अपना निर्जला व्रत शुरू करते हैं, जो 36 घंटे तक चलता है।
दिलचस्प बात यह है कि खरना के दिन प्रसाद ग्रहण करने का भी एक विशेष नियम होता है। ऐसा माना जाता है कि जब व्रती प्रसाद ग्रहण करता है, तो घर के सभी लोगों को बिल्कुल शांत रहना पड़ता है। साथ ही व्रती द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही खरना का प्रसाद घर के अन्य सदस्यों को वितरित किया जाता है।
दूसरे दिन का प्रसाद ग्रहण करने के बाद तीसरे दिन का व्रत शुरू होता है।