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आता-सा अनुराग

19 अप्रैल 2022

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माटी से उठ कर आता-सा अनुराग

जब फूल-फूल बनता कलियों का भाग,

तब मुझको मिलते, आते मेरे बाँटे

संकेत भेजते वायु और सन्नाटे।

मैं चल पड़ता हूँ, कलियों के मधु-गाँव

हौले से रखता हूँ, गन्धों पर पाँव

मैं काला, वे उजली भरपूर सुगन्ध

गुन-गुन कर ढूंढ रहा उनका अनुबन्ध ।

ग्रंथों में मुझ पर क्या लिक्खा क्या जानूं

पंथों में क्या बीती कैसे पहचानूँ!

मैं उन पर गुन-गुन करूँ और वे डोलें

उनकी पंखुड़ियाँ मेरी बोली बोलें !

मैं नहीं जानता, बीत गयीं सो रातें

मैं नहीं जानता, कल-किरणों की घातें,

उनकी मधु-गंधें निरख-निरख छू जाना

मैं मलय-गन्ध पर सीखा गूँज सजाना ।

यह मलय और वह माटी बस क्या कहने

निर्मात्री दोनों हैं आपस में बहनें,

इनकी गोदों ही में कलियां हिलती हैं

खिलती हैं, मुझको वे हाजिर मिलती हैं,

गूंजों में भर-भर अर्पण अतल-वितल में

मैं रख-रख आता उनके चरण-कमल में ।

बेले हों, तरु हों, माटी के सब जाये

कलियों के घर जाता हूँ बिना बुलाये ।

कलियों का आँचल ही मेरा ईश्वर है

मधु-गंधों हिलता-डुलता प्रभु-मन्दिर है ।

जग के इस सिकुड़े पाप-पुण्य से ऊपर

गूँजें निर्माण किया करतीं मेरा घर ।

ऊँचे उड़ते, जिस-जिसने मुझको चीन्हा

वे बोले, प्यारा है मिलिन्द मधु-भीना ।

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रचनाएँ
बीजुरी काजल आँज रही
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सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के संपादक के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढ़ी का आह्वान किया हैं |
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बीजुरी काजल आँज रही-गीत

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वर्षा ने आज विदाई ली

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वर्षा ने आज विदाई ली जाड़े ने कुछ अंगड़ाई ली प्रकृति ने पावस बूँदो से रक्षण की नव भरपाई ली। सूरज की किरणों के पथ से काले काले आवरण हटे डूबे टीले महकन उठ्ठी दिन की रातों के चरण हटे। पहले उदार थ

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सिर पर पाग, आग हाथों में

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यह तो करुणा की वाणी है

19 अप्रैल 2022
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तुम इस बोली में मत बोलो यह तो करुणा की वाणी है। उतरो, चढ़ो, चलो, घूमो पलटो, पर हार नहीं मानो; पत्थर, मिट्टी, लोहा, सोना रोकें, उपहार नहीं मानो । बिन्दु-बिन्दु टुकड़े होते हैं तुम संग्रह का गर

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छबियों पर छबियाँ बना रहा बनवारी

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आता-सा अनुराग

19 अप्रैल 2022
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माटी से उठ कर आता-सा अनुराग जब फूल-फूल बनता कलियों का भाग, तब मुझको मिलते, आते मेरे बाँटे संकेत भेजते वायु और सन्नाटे। मैं चल पड़ता हूँ, कलियों के मधु-गाँव हौले से रखता हूँ, गन्धों पर पाँव मैं

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तारों के हीरे गुमे

19 अप्रैल 2022
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यह उत्सव है

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