मुसलमानों के नाम पर दिन रात हल्ला मचाने वाले पाकिस्तान की हरकतों को देखकर हर कोई यही कहेगा, जिन्ना का ये मुल्क और कितना गिरेगा। गाजा पट्टी के घायलों के इलाज के लिए अस्पताल ऑफर करने वाला पाकिस्तान, अफगान शरणार्थियों को भगाने के नाम पर भी लूटपाट मचा रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान में पिछले 2 महीने से अफगान शरणार्थी निकाले जा रहे हैं और ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, कि अफगान शरणार्थियों से देश छोड़ने के एवज में 830 डॉलर यानि, करीब 66 हजार भारतीय रुपये वसूला जा रहा है। यानि, एक तरफ पाकिस्तान, अफगान शरणार्थियों को डंडे के दम पर जबरदस्ती देश सेबाहर निकाल रही है और दूसरी तरफ, उनसे करीब 66 हजार रुपये भी फीस के तौर पर वसूला जा रहा है।
लिहाजा, अफगान शरणार्थी के लिए लगभग $830 का निकास शुल्क लगाने के पाकिस्तान के फैसले की कई पश्चिमी राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र ने तीखी आलोचना की है। राजनयिकों ने इस कदम को "चौंकाने वाला और निराशाजनक" बताया है। हालांकि पाकिस्तान नीचता के हर स्तर को पार कर चुका है, लिहाजा उसके इस फैसले पर हैरान होना नहीं चाहिए।
अफगान शरणार्थियों पर जुल्म
पाकिस्तान में करीब 17 लाख शरणार्थी रहते हैं, जिनके पास पूरी तरह से कागजात नहीं है और पाकिस्तान सरकार ने अक्टूबर महीने में घोषणा की थी, कि 31 अक्टूबर तक ऐसे सभी अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान से बाहर जाना होगा और जो लोग नहीं जाएंगे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
जैसे-जैसे समय सीमा बीतती गई, बिना दस्तावेज़ वाले अफ़गानों का बड़े पैमाने पर निर्वासन शुरू हो गया। इस सप्ताह तक, अवैध विदेशियों पर चल रही कार्रवाई के परिणामस्वरूप 4 लाख से ज्यादा अफगान अपने देश वापस लौट चुके हैं, लेकिन अभी भी लाखों की संख्या में शरणार्थी पाकिस्तान में ही हैं, जिनसे पाकिस्तान लूट खसोट मचा रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान का पैसे वसूलने का लालच तब जागा, जब अमेरिकी सरकार, अमेरिका में लगभग 25,000 अफगानों को फिर से बसाने की योजना बना रही है। ब्रिटेन ने कहा है, कि वह 20,000 लोगों का पुनर्वास करेगा, जिसके बाद पाकिस्तान ने फौरन देश छोड़ने वाले शरणार्थियों पर 830 डॉलर का शुल्क लगा दिया।
पाकिस्तान के इस कदम से दुनिया हैरान
पाकिस्तान में काम करने वाले पांच वरिष्ठ पश्चिमी देशों के डिप्लोमेट्स ने गार्जियन अखबार को बताया है, कि पाकिस्तान में निकास परमिट शुल्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभूतपूर्व कदम है और यह एक झटका है।
द गार्जियन ने एक राजनयिक के हवाले से कहा है, कि "मुझे पता है कि पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से यह बहुत कठिन है, लेकिन शरणार्थियों से पैसा कमाने की कोशिश करना वास्तव में अनाकर्षक है।"
एक अन्य राजनयिक ने कहा कि आंतरिक और विदेश मंत्रालयों की ब्रीफिंग में पश्चिमी अधिकारियों को इस कदम के बारे में बताया गया था। जब शुल्क के बारे में चिंताएं उठाई गईं, तो अधिकारियों को बताया गया, कि शुरू में पाकिस्तान सरकार का फैसला हर शरणार्थी से 10 हजार डॉलर वसूलना था, लेकिन बाद में इसे घटाकर 830 अमेरिकी डॉलर कर दिया गया।
वहीं, एक और डिप्लोमेट ने कहा, कि "यह बहुत विचित्र है और मुझे व्यक्तिगत रूप से यह बहुत निराशाजनक लगता है। यदि पाकिस्तान पश्चिम में शरणार्थियों के निपटान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना चाहता है, तो उन्हें ऐसी बेतुकी शर्तों के साथ इसे और अधिक जटिल नहीं बनाना चाहिए"
राजनयिक ने कहा, कि "इस निकास परमिट शुल्क का औचित्य क्या है? बहुत सारा पैसा कमाना इसका मकसद हो सकता है?"
लूट मचाने के पीछे की दलील सुनिए
अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान सरकार ने ये पैसे क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान करने के लिए कहा है, जबकि ज्यादातर शरणार्थियों के पास क्रेटिड कार्ड नहीं है। पाकिस्तान जानता है, कि इन शरणार्थियों को अमेरिका और ब्रिटेन से पैसे मिलने वाले हैं, इसीलिए उसने भारी-भरकम शुल्क लगा दिया है।
वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने कहा, कि सरकार की नीति में बदलाव की कोई योजना नहीं है।
उन्होंने कहा, कि "ये व्यक्ति पिछले दो वर्षों से यहां हैं और वे शरणार्थी नहीं हैं, बल्कि आप्रवासी हैं, जिनके पास वीजा अवधि से ज्यादा समय तक रहने और दस्तावेजों की कमी है। लेकिन हम उम्मीद करते हैं, कि संबंधित देश वीज़ा और अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाएंगे, ताकि वे जितनी जल्दी हो सके अपने गंतव्य के लिए रवाना हो सकें।"
बलूच ने कहा, कि शरणार्थियों के पुनर्वास की प्रक्रिया के लिए अधिक जानकारी की आवश्यकता है क्योंकि कुछ पश्चिमी देश बिना अधिक जानकारी के उन्हें नाम दे रहे हैं। लेकिन एक पश्चिमी राजनयिक ने कहा, "हम वह जानकारी मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, जो पाकिस्तानी सरकार मांग रही है, लेकिन हम कितनी जानकारी मुहैया करा सकते हैं, इस पर भी हमारे पास कानूनी प्रतिबंध हैं।"
यानि, जिन शरणार्थियों के पास खाने तक को पैसे नहीं हैं, पाकिस्तान उनसे 66 हजार रुपये से ज्यादा वसूलेगा और ये वो पाकिस्तान है, जो हर मुसलमान का पैरोकार बनने की कोशिश करता है, लेकिन उसके इस कदम ने बता दिया, कि जिन्ना का ये देश एक नंबर का भिखारी है।