जयललिता ने अपने आखिरी 75 दिन चेन्नई के अपोलो अस्पताल में बिताए. आखिरी दौर में उनकी सबसे ज्यादा बातें अस्पताल के मेडिकल स्टाफ से ही हुईं. अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने अपोलो अस्पताल के स्टाफ से बातचीत की.
जयललिता की देखभाल की जिम्मेदारी 3 नर्सों पर थी, जिन्हें उनके भारी-भरकम शरीर की वजह से जयललिता ‘किंग कॉन्ग’ बुलाती थीं. इन्हीं नर्सों में से एक सीवी शीला बताती हैं, ‘कई बार वो कहती थीं कि आप मुझे बताओ क्या करना है. जब हम उनके पास आते थे तो वो स्माइल करती थीं, हमसे बातें करती थीं, ज्यादातर कोऑपरेट करती थीं. जब हम आस-पास होते थे तो वो परेशानी के बावजूद कुछ खा लेने की कोशिश करती थीं.’
शीला बताती हैं, ‘वो हम तीनों के लिए एक-एक चम्मच और एक चम्मच खाना अपने लिए भी खा लेती थीं.’ उनकी डायट में उनका फेवरेट उपमा, पोंगल, दही चावल और आलू सब्जी शामिल थे, जो उनका खुद का कुक ही बनाता था. कुल 16 नर्सें तीन शिफ्ट में उनकी देखभाल करती थीं; शीला, एमवी रेणुका और सामुंदीश्वरी उनकी फेवरेट थीं.
अपोलो अस्पताल में बुधवार को हुई शोकसभा के बाद डॉक्टरों, नर्सों और बाकी स्टाफ के लोगों ने बताया कि कैसे जयललिता कई बार मजाक करती थीं, किस तरह कोऑपरेट करती थीं और कभी-कभी उन्हें संभालना मुश्किल भी हो जाता था.
डॉक्टर बताते हैं कि अस्पताल में वो ही बॉस थीं. 22 सितंबर की रात उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. चार घंटे बाद जब वो नींद से उठीं, उन्होंने सैंडविच और कॉफी मांगी. इंटेंसिव केयर एक्सपर्ट्स की टीम को लीड करने वाले डॉक्टर आर सेथिंल कुमार बताते हैं, ‘तब से लेकर उनके लिए ये लंबा सफर था.’
डॉक्टर सत्य भामा ने बताया कि जब वो बहुत थकी होती थीं तो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों से बात करती थीं. उन्हें स्किन की देखभाल के टिप्स देती थीं और कई बार हेयरस्टाइल बदल डालने के ‘आदेश’ सुना देती थीं. ड्यूटी पर मौजूद महिलाओं से वो हमेशा कहती थीं कि भले ही कितनी बिजी रहो, लेकिन खुद को भी थोड़ा समय दिया करो.
डॉक्टर रमेश वेंकटरमन ने बताया कि अपोलो अस्पताल की कॉफी उन्हें खास पसंद नहीं थी. एक बार नर्सों और डॉक्टरों से भरे कमरे में उन्होंने सबको अपने पोएस गार्डन आवास पर आने का न्योता देते हुए कहा, ‘चलो घर चलते हैं. मैं तुम्हें कोडइनाडु की बेस्ट चाय पिलाऊंगी.’
कुछ-एक मौकों पर वो अड़ी भी रहीं. यूके-बेस्ड डॉक्टर रिचर्ड बील ने कोऑपरेट करने के लिए प्रेरित करते हुए उनसे बात की और याद दिलाया कि अस्पताल में डॉक्टर बॉस होता है. इस पर जयललिता ने चेहरे पर कमजोरी के भावों के बावजूद जवाब दिया कि ये पूरा प्रदेश उनका इलाका है.
डॉक्टरों को अच्छे से याद है जब 22 नवंबर को AIADMK ने थंजवूर, अरवाकुरुची और तिरुपरनकुंदरम सीटें जीतीं तो उन्होंने ‘जया टीवी’ पर ये खबर देखी और स्माइल किया.
लेकिन रविवार शाम सब बदल गया. वो एक पुराना तमिल सोप ओपरा देख रही थीं, जब एक डॉक्टर उनके कमरे में दाखिल हुआ. जयललिता ने न स्माइल किया, न कुछ बोलीं. उनकी सांस उखड़ती हुई सी लगी. जब तक डॉक्टर वेंटिलेटर एडजस्ट करते, पास लगे मॉनिटर पर सीधी लाइन नुमायां हो गई. उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ था.
सोमवार को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. दो दिन बाद, जब डॉक्टर और नर्स अस्पताल पहुंचे तो वहां सन्नाटा बिखरा हुआ था. शीला कांपती हुई आवाज़ में बताती हैं, ‘उन्होंने हमें तमिलनाडु विधानसभा दिखाने का वादा किया था.’
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