ये बात सबको पता है कि इस दुनिया में कोई भी हमेशा के लिए नहीं आया, कोई भी अमर नहीं है। सभी को एक न एक दिन इस दुनिया से जाना जरूर है। कभी न कभी सभी को अपने किसी बेहद करीबी की मृत्यु से सामना करना पड़ता है। फिर चाहे वो मां-बाप हों या कोई और। मृत्यु अगर सामान्य तरीके से हो तो उसका दर्द उतना नहीं होता लेकिन हादसे में हुई मृत्यु अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाती है और उसका दर्द हमेशा बना रहता है।
सेना में जवान जब भरती होते हैं तभी उन्हें पता होता है कि देश के लिए उन्हें कभी भी शहीद होना पड़ सकता है। जवान तो शहीद हो जाता है लेकिन उसके घरवालों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है। कोई अपना पिता खोता है तो कोई अपना बेटा। जीवनसाथी के हमेशा के लिए चले जाने की कल्पना भर डरा देती है। इस बारे में अगर किसी से पूछना हो तो उन लोगों से बात करनी चाहिए जिनके अपने कसी हादसे का शिकार हुए हैं।
यहां शहीद सूबेदार बलदेव कुमार शर्मा की बेटी बता रही है कि कैसे उसके पिता का दूर होना उसके परिवार के लिए कभी न भरने वाला जख्म बन गया। वो बताती है कि कैसे उसके पिता अक्सर सुबह ब्रश करते समय उसके साथ मजाक किया करते थे। उस खेल को वो याद करके रो देती है। सरकार ने 5 लाख के मुआवजे का वादा कर सिर्फ 1.5 लाख रुपए दिए। लेकिन सवाल ये नहीं है, पैसा किसी की कमी पूरी नहीं कर सकता। दुख तब होता है जब किसी ने पीछे से हमला किया हो। सुकमा में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। सुकमा के शहीदों के घर वालों को कैसा महसूस हो रहा होगा इसका अंदाजा आप इस वीडियो से लगा सकते हैं...
साभार: इंडिया टाइम्स