जुलाई के बीच में उत्तर-पश्चिम बंगाल के दूसरे हिस्सों को दार्जिलिंग से जोड़ने वाली पंखाबारी रोड भूस्खलन की वजह से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सड़क को ठीक करने के लिए तुरंत काम करने की जरूरत थी हालांकि GJM (गोरखा जनमुक्ति मोर्चा) आंदोलन की वजह से पहाड़ियों की स्थिति पहले से ही खराब बनी हुई है।
मोर्चा वालों की लगातार धमकियों के बीच GTA(गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन) के PWD इंजिनियर अमित घोष ने एक जोखिम भरा फैसला लिया। घोष ने भारतीय सेना की वर्दी पहनी और अपनी जान को जोखिम में डालते हुए सेना की जीप में सवार होकर काम करवाने लगे।
एक वारांगल क्षेत्रीय इंजिनियरिंग कॉलेज के पूर्व छात्र घोष ने अपने रोमांचक अनुभव शेयर किए। कॉलेज से निकलने के बाद घोष पहले MES ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे थे। बाद में उन्होंने PWD जॉइन किया।
घोष ने बताया कि कैसे पहाड़ी इलाकों में संघर्ष वाले माहौल के दौरान सरकारी कर्मचारी अपनी जान का जोखिम लगाकर GTA में ड्यूटी करते हैं। उन्होंने GTA कर्मचारियों और अफसरों की आर्थिक स्थिति पर भी जोर देते हुए कहा कि उन्हें 2-2 महीने तक सैलरी नहीं मिलती है। घोष ने सड़क निर्माण कार्य की चुनौतियों को देखते हुए पहले बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन कमिशन से मदद की गुहार की पर ऑफिसर-इंचार्ज ने बताया कि वे चीन बॉर्डर पर सड़क निर्माण में व्यस्त हैं।
बाद में, घोष भारतीय सेना के सुकना स्थित 33 कोर रेजिमेंट से मदद मांगी। लेफ्टिनेंट कर्नल रजत सैनी ने पंखाबारी रोड में सड़क निर्माण दोबारा से शुरू करने के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।
GJM प्रदर्शनकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए घोष और उनके साथी मृणालकांति ने सेना की वर्दी पहनना शुरू कर दिया। उन्हें प्रॉजेक्ट साइट पर जाने के लिए सेना की जीप भी उपलब्ध कराई गई थी। उन्हें सिक्यॉरिटी भी दी गई थी। एक अधिकारी ने कहा कि घोष ने ऐसी स्थिति में भी काम करके एक मिसाल तैयार की है।
साभार - http://navbharattimes.indiatimes.com/state/other-states/kolkata/engineer-dons-army-uniform-to-repair-roads-at-darjeeling-hills/articleshow/59698817.cms