पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पूरे पाकिस्तान में वैलेंटाइन्स डे पर बैन लगा दिया है. वहां इस दिन को उतनी ही इज्जत मिल रही है, जितनी हमारे यहां कुछ फिल्मों को मिलती है. ऐसा करके पाकिस्तान ने प्रूव कर दिया है, आखिरकार वो कभी तो भारत का हिस्सा रहे ही थे. दोनों को एक ही चीज से डर लगता है. भारत में भी कई लोग और संगठन इस दिन का विरोध करने को बैठे ही रहते हैं. पाकिस्तान में भी बैठे हैं. ‘ऐसा देश है मेरा जैसा देश है तेरा’ वाला गाना और सही लगने लगा है.
अब दूसरी खबर पर चलें. कल ही लाहौर में असेंबली के बाहर आत्मघाती हमला हुआ. डीआईजी और एसएसपी को मिलाकर 16 लोगों की मौत हो गई. 60 जने घायल हो गए. लेकिन ये खबर आकर चली गई और वैलेंटाइन्स बैन वाली खबर याद रही. क्यों? क्योंकि ऐसा तो वहां होता रहता है. इनको समझ नहीं आता क्या? आतंकवाद तो इनसे रुकता है नहीं. ये प्यार वाला दिन रोकने में लगे हैं. जिनसे नफरतें नहीं रोकी जातीं, उनको प्यार से खतरा होता है. पश्चिम-पश्चिम की दलील देने वाले पश्चिम से प्यार करना तक नहीं सीख पाए, हथियार भले पश्चिमी चलाएं. ये जनरलाइजेशन नहीं है, न ये, ये कहना है कि पूरा एक मुल्क ही आतंकी है. ये, ये कहना है कि वहां की सरकार से अदालतों तक में ऐसी सख्ती दूसरी चीजों के लिए इतनी मुखरता से क्यों नहीं दिखती?
वैलेंटाइन्स डे के साथ पर्याप्त समस्याएं हैं. कमिटेड लोग इसे मनाते हैं नहीं. इश्क करने वाले इस दिन का वेट करते बैठे रहते हैं नहीं. बालक-बालिकाएं इसे चीजी कहकर मुंह बना देते हैं. कुल जमा वैलेंटाइन्स डे कोई इतना बड़ा दिन भी है नहीं कि हर प्यार करने वाला उसके लिए बौरा जाए. इसका जो क्रेज़ था, आर्चीज के कार्ड्स के साथ ही चला गया. एक स्टेप आगे की बात है, वैलेंटाइन्स डे पर प्यार करना ऐसे है जैसे 26 जनवरी पर डीपी पर तिरंगा लगाना.
पाकिस्तान में इस दिन पर बैन लगता है, तो खतरनाक क्या है? होता ये था कि ऐसे दिनों के विरोध में हमेशा वहां के कट्टरपंथी ही आगे रहते थे, जाहिर है वो हिंसक भी होते हैं. अपने यहां वाले नहीं होते क्या? फिर वहां के राष्ट्रपति और हाई कोर्ट तक इस दिन के खिलाफ आ गए. वहां की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी भी आ गई. अब खरतनाक ये है कि राष्ट्रपति से लेकर कोर्ट और तमाम अथॉरिटीज भी उसी पाले में खड़ी हैं, जिस पाले में वहां के कट्टरपंथी और उसी पाले में हम. हम वो जो उन्हीं कट्टरपंथियों के कारण पाकिस्तान से चिढ़ते हैं. लेकिन अभी तो हम उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं. शेष आप समझदार हैं. टाटा.