कैसे होगा आपके घर माँ लक्ष्मी का वास आइये जानते हैं कैसे ?
पहले तो दिवाली नहीं, “दीपावली” कहें क्योंकि दिवाली का कोई अर्थ नहीं होता जबकि “दीपावली” का अर्थ होता है: दीपों की पंक्तियाँ |
दूसरा – दीपावली भी हो स्वदेशी इस बार सिर्फ मिटटी के दिये ही ख़रीदे जिससे भारत के गरीब परिवारों के घरो में खुशी के दीप जलें। और चीनी मिटटी के दिए और चायना के लाइट्स, बम्ब आदि खरीद कर भारत की लक्ष्मी को चीन (विदेश) ना भेजें।
तीसरा – गाय बचाएँ पर्यावरण बचाएँ इस दीपावली सिर्फ़ गाय के घी का ही दीप जलाएँ. क्योकि यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ,) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा , धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।
माँ लक्ष्मी का गृह प्रवेश जैसा कि आप जानते ही है गाय के गौबर में माँ लक्ष्मी का वास होता है और हमारे शास्त्रो के अनुसार दीपावली पर गोबर के ही लक्ष्मी गणेश का प्रतीक रूप में पूजन करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर साल भर उस घर में वास करती हैं और जो दीपावली के दिन गायों के घर या गौशाला को अपने घर के तरह सुन्दर और सुसज्जित बनाने का संकल्प लेता है स्वयं भगवान विष्णु उससे प्रसन्न होकर उसके लिय कुबेर के भण्डार खोल देते हैं और सदैव माँ लक्ष्मी के संग उस घर में रहने का वरदान देते है।
अन्त में प्रण ले कि हम चांदी का बर्क लगी मिठाई नहीं खरीदेंगे बर्क कि मिठाई का घर में प्रवेश भी बहुत बड़ा पाप है क्योंकि गाय की आँतों में रख कर चाँदी को गाय के चमडीयुक्त से कूटा जाता है जबकि किसी भी मेटल को भस्म किए बिना खाने से अलसर तो होता ही है साथ ही पेट का कैंसर होने कि संभावना 80% बढ़ जाती है| बहुत लोग जाने/अनजाने में इस पाप के भागीदार बनेंगे, ऐसे में हम सभी का कर्तव्ये बनता है कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगो तक चांदी/सोने के वर्क के बारे में लोगो को बताये।