चाचा-भतीजे राज महाजन और पारस गुप्ता कर रहे हैं नाम रोशन दिल्ली का
डबलिन, 9 नवम्बर, 2016. इंडियन लायन के नाम से मशहूर पारस गुप्ता ने डब्लिन में हिंदुस्तान के नाम का झंडा लहरा दिया. यहाँ होने वाली WFF इंटरनेशनल 2016 वर्ल्ड चैंपियनशिप में पारस ने सीनियर वर्ग में सिल्वर मैडल जीतकर साबित कर दिया कि हिन्दुस्तानी शेर की दहाड़ होती है खतरनाक. 25 साल के पारस पहले सबसे कम उम्र के ऐसे बॉडीबिल्डर बन गए हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सीनियर केटेगरी में अपने देश इंडिया का प्रतिनिधित्व कर पदक जीत लायें हैं. इससे पहले राष्ट्रीय स्तर पर पारस कई अवार्ड्स अपने नाम कर चुके हैं.
WFF इंटरनेशनल 2016 वर्ल्ड चैंपियनशिप 6 नवम्बर 2016 को इस बार डब्लिन में आयोजित की गई, जिसे सफल बनाया BSN कंपनी ने. प्रतियोगिता में कई देशों के विभिन्न प्रतियोगियों ने अपनी फिटनेस के आगे निर्णायकों को हैरान कर दिया. कई मापदंडों से गुजरकर पारस ने बाज़ी मारते हुए सिल्वर मैडल अपने नाम किया.
इस मौके पर जीत के उत्साह से भरे ने अपने फैन्स और चाहने वालों को शुक्रिया अदा किया. पारस ने कहा, “यह जीत मैं अपने देश भारत के नाम करता हूँ. एक खिलाड़ी को इसी दिन का इंतज़ार रहता है जब वह देश का नाम रोशन करे. मैं आज खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ जो मुझे यह मौका मिला”. पारस गुप्ता अपनी कामयाबी का श्रेय अपने गुरु सुनील लोचब को देते हैं और जिनके मार्गदर्शन में पारस ने प्रतियोगिता की तैयारी की है. पारस को बॉडी बिल्डिंग का शौक अपने पिता सुनील गुप्ता से विरासत में मिला है. गौरतलब है कि पारस यूनिवर्स हेल्थ क्लब के नाम से अपना जिम शकरपुर दिल्ली में चलाते हैं और खुद भी अपनी तैयारी वहीँ पर करते हैं.
आगे उन्होंने कहा, “मैं अपने परिवार और फैन्स का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिनके भरोसे और साथ की वजह से मैं यह नामुमकिन काम मुमकिन कर पाया. यह जीत, यह मैडल पूरे हिन्दुस्तान के लिए. सफर यहाँ खत्म नहीं हुआ बल्कि शुरु हुआ है और उम्मीद करता हूँ ऐसा ही प्यार और साथ हमेशा बना रहेगा.”
गौरतलब है, पारस के चाचा बिग बॉस 10 चर्चों में शुमार रह चुके राज महाजन प्रसिद्ध संगीतकार, प्रोडूसर-डायरेक्टर और मोक्ष म्युज़िक कंपनी के चेयरमैन हैं. राज महाजन ने कहा, “पारस पत्थर के जैसा हमारा पारस हिंदुस्तान के बेशकीमती रत्नों में से एक है. मुझे अपने बेटे पारस पर गर्व है.” पारस के दादा-दादी अविनाश चन्द गुप्ता और इन्द्रावती गुप्ता अपने पोते की इस सफलता से बहुत ही उत्साहित हैं. जीत के बाद से ही उनके घर पर फोन कॉल्स और बधाइयों का तांता लगा हुआ है.