इन दिनों एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. खासकर सोशल मीडिया पर. फेसबुक और ट्विटर पर इस वीडियो को अमिताभ बच्चन ने भी शेयर किया है. इस वीडियो में रवीन्द्रनाथ टैगोर राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ गा रहे हैं. उनकी आवाज में राष्ट्रगान सुनना एक अलग ही आनंद देता हैं. इस वीडियो को देखकर ही लगता है कि ये बहुत पुराना है. जाहिर सी बात है कि ये वीडियो आजादी से पहले का ही होगा. इतना पुराना विडियो होने के बावजूद भी ये इस समय लोगों के सामने आया है. अमिताभ ने इसे शेयर करते हुए लिखा है कि राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगौर खुद गा रहे हैं. अविश्वसनीय है. ये असली फुटेज है. टैगोर दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी लिखी रचनाएं आज दो देशों का राष्ट्रगान हैं. भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन” और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान “आमार सोनार बांग्ला”.
ऐसे समय में ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जब इस यूनिवर्सल कवि को मजहब और कुनबों में बांटने की कोशिश की जा रही है. पिछले कुछ ही दिनों पहले बांग्लादेश में स्कूली किताबों से उनका नाम हटा दिया गया. बांग्लादेश में सरकार ने स्कूल सिलेबस पर बड़े पैमाने पर बदलाव किये. इन बदलावों में ऐसे सभी चीजों को किताबों से हटा दिया गया, जो हिंदू से ताल्लुक रखते हैं. इस पर पूरे देश में विवाद पैदा हो गया है. और ये सब 2017 में हो रहा है. जब हर समाज को प्रगतिशीलता की तरफ बढ़ना चाहिए. ये बदलाव 8 वीं क्लास तक की किताबों में की गई है.
इसी सिलसिले में क्लास 6 की स्कूल किताबों से रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ‘बाग्लादेशर हृदोय’ को भी हटा दिया गया है. इस कविता में उन्होंने अपने मातृभूमि की खूबसूरती का जिक्र किया है. इस कविता के बारे मजहबी कट्टरपंथियों ने दावा किया था कि यह कविता हिंदू देवियों की प्रशंसा करती है. इसलिए इसे किताबों से हटा लेना चाहिए. और सरकार ने इन कट्टरपंथियों की मांग को मान लिया है. बांग्लादेश वो मुल्क है जिसकी बुनियाद ही सेकुलरिज्म के आधार पर हुआ था. पर ये कहानी सिर्फ बांग्लादेश की नहीं है, बल्कि ज्यादातर देशों में कट्टरवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बांग्लादेश और पश्चिमी बंगाल में तो रविन्द्र नाथ टैगोर और काजी नजरुल इस्लाम को सर्वमान्य नेता और कवि माना जाता है, चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे कवि हैं कि जब भी इंसानियत के वसूलों की बात होगी तो हमेशा उनके कविताओं का जिक्र किया जाएगा. उन्हें उनकी रचना गीतांजलि के लिए नोबल प्राइज भी दिया गया था. श्रीलंका का राष्ट्रगीत “श्रीलंका माता” भी टैगोर की कविता से प्रभावित है. और उसे लिखने वाले आनंद समरकून रवींद्रनाथ टैगोर के चेले थे. टैगोर को लोग उनके ग्रेटनेस की वजह से ‘गुरुदेव’ कहते थे. और आज ऐसे ग्रेट कवि को लाइव सुनना एक सुखद अहसास है.