भारतवर्ष के ऐसे कई रहस्य हैं जिन्हें हम में से कई लोग आजतक सच मानते आ रहे हैं, लेकिन आज हम आपको उन सच के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हकीकत में कभी सच था ही नहीं। भारत के वे 8 झूठ जिन्हें हम लोग अब तक सच मानते थे।
1. दुनिया में भारतीय रेल नहीं है सबसे बड़ा नियोक्ता।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2015 के रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का रक्षा विभाग 32 लाख से अधिक कर्मचारियों को रोजगार प्रदान करता है, जबकि भारतीय रेल में 14 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इस सूची में भारतीय रेल को 8वां स्थान मिला है।
2. हिंदी देश की राष्ट्रभाषा नहीं है।
भारतवर्ष में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं, पर भारत की अपनी कोई राष्ट्र भाषा है ही नहीं। हालांकि, देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और अधिकांश हिंदी बोल लेते हैं। लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं। भारत के संविधान में भी राष्ट्रभाषा का कोई उल् लेख नहीं है।
3. महात्मा गांधी ने नहीं किया किसी फिरंगी महिला के साथ डांस।
इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि महात्मा गांधी एक फिरंगी महिला के साथ नाच रहे हैं, लेकिन एेसा नहीं है। दरअसल, यह एक ऑस्ट्रेलियाई ऐक्टर है, जिसने गांधी जैसी ड्रेस पहन रखी है।
4. हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं है।
हम लोग भले ही हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते है, लेकिन इस खेल को भारत के राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है। एक आरटीआई पर जवाब में खेल मंत्रालय ने चौंकाने वाला जवाब दिया कि सरकार ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा कभी नहीं दिया है।
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5. भारतवर्ष शुरू से धर्म-निरपेक्ष नहीं है।
भारतवर्ष में बने सर्वप्रथम संविधान में सेक्युलर शब्द का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया था, लेकिन भारतीय संविधान की पूर्वपीठिका में ‘सेक्युलर’ शब्द 42वें संविधान संसोधन द्वारा सन 1976 में जोड़ा गया।
6. यूनेस्को ने जन गण मन को दुनिया का सबसे सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान घोषित किया।
यह अफवाह सबसे पहले साल 2008 में शुरू हुई थी कि भारतीय राष्ट्रगान जन गण मन को यूनेस्को ने दुनिया का सबसे सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान घोषित किया है। तब यूनेस्को ने इसका खंडन भी किया था।
7. 1960 रोम ओलम्पिक्स रेस के दौरान मिल्खा सिंह ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा था।
लोगों का मानना हैं कि मिल्खा सिंह 1960 के रोम ओलम्पिक के 400 मीटर रेस में सबसे अागे दौड़ रहे थे, लेकिन पीछे मुड़ कर देखने के कारण वे चौथे स्थान पर खिसक गये। यह सच नहीं है। क्योंकि मिल्खा सिंह इस रेस में पांचवे स्थान पर दौड़ रहे थे और अंत में चौथा स्थान हासिल कर पाए।
8. एक आंख के बदले में एक आंख लेने लगे तो पूरी दुनिया को अंधा बना देगा- यह उक्ति महात्मा गांधी की नहीं है।
एक आंख के बदले में एक आंख लेने लगे तो पूरी दुनिया को अंधा बना देगा। ये मशहूर उक्ति महात्मा गांधी की कहीं जाती है। पर ये सत्य नहीं है। गांधी के द्वारा लिखे गए दस्तावेजों में कहीं भी इस शब्द का जिक्र नहीं किया गया है। ये शब्द बेन किंग्स्ले ने फिल्म गांधी में बोले थे।