फेसबुक पर दो तरह के लोग रहते हैं. एक प्रतिभा मिश्रा और बाकी सब. कानपुर से दिल्ली चली आईं एक दिन. फिर वापस ही नहीं गईं. पढ़ने आई थीं. एमफ़िल कर रही हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से. कानपूर यूनिवर्सिटी कई बार रात को स्कॉच का गिलास लेकर डबडबाई आंखों के साथ इनकी राह तकती है. लेकिन बिजली वाले मिश्रा जी की बिटिया यहीं खुश हैं. लिखती रहती हैं. कहती रहती हैं. सुनती रहती हैं. सोती रहती हैं. सोने से बहुत प्रेम है. और साथ ही ‘र’ को ‘ड़’ बोलने वालों से बहुत प्रेम करती हैं.
मुझे शादी करनी है. मैं पच्चीस साल की युवती जो कि पिछले 6 सालों से ज़्यादा समय से देश की टॉप यूनिवर्सिटी से पढ़ रही है. जिसकी माँ गृहणी है और पिता सरकारी क्लर्क, जिसको उन्होंने अच्छी से अच्छी शिक्षा दी है, इतना समझदार बनाया है कि अपने फ़ैसले खुद ले सके. वो आज सोशल मीडिया पे कह रही है कि उसे शादी करनी है, घर बसाना है. ये रिस्की सा है. मैं एक तरफ़ तो अपने संस्कार गवां रही हूँ, अपनी ही शादी के लिए बोल के. दूसरी तरफ़ अपनी मॉडर्न, इंडिपेंडेंट, फेमिनिस्ट मोरालिटी को भी रिस्क में डाल रही हूँ. पर मुझे बताना है कि मुझे शादी क्यूँ करनी है.
मैं बहुत रोमांटिक टाइप की हूँ. मुझे प्यारे लोग पसंद हैं, जो बह जाते हैं. थोड़े भोले होते हैं. हर चीज़ में दिमाग नहीं लगाते. मुझे डर लगता है इस बात से की मैं love of my life के साथ कम वक़्त गुज़ार पाऊँगी. मुझे फ़र्क पड़ता है इस बात से कि कइयों को उनकी मोहब्बत ज़िन्दगी के शुरुआती सालों में मिल गयी और वो उनके साथ ख़ुशी-ख़ुशी ज़िन्दगी बसर कर रहे हैं.
मैंने बहुत हाथ-पांव मारे हैं इसके लिए कि मेरा रिलेशनशिप स्टेटस सिंगल से आगे बढ़े. पर डरपोक भी बहुत हूँ. कायर शायद. सेफ गेम खेल ना है मुझे. बहुत लोगों को डेट किया है, रिलेशनशिप में सालों से नहीं हूँ. दिल टूटने का डर नहीं खौफ़ है. मम्मी-पापा दोस्तों सबको बोल रखा है. लड़का लाओ, शादी करवाओ.
मेरी फैमिली कितनी अंडरस्टैंडिंग और सपोर्टिव है, इसके बारे में ज़्यादा सफाई नहीं देनी मुझे. बस इतना सुन लीजिये कि मुझे भाई से पहले अंग्रेजी मीडियम स्कूल में डाला गया. मैं स्कूल के बाद से दिल्ली में हूँ और उसने अपनी कॉलेज की पढाई होमटाउन से की है. मुझे फिर भी शादी करनी है क्यूंकि मुझे स्थायित्व पसंद है, मुझे होमसिकनेस होती है. अभी भी. मुझे लालच है प्रेम का. मेरे दोस्त हैं और ऑलमोस्ट सब ऐसे कि हर मदद को तैयार. मैं कितना आर्टिकुलेट कर पा रही हूँ कितना नहीं, ये आपको बेहतर पता होगा. पर मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं है कि शादी करूँ. मुझे एकेडमिक्स में करियर बनाना है. और मैं जब तक चाहूँ तब तक नौकरी या पढाई, जो चाहे करुँगी. और ये मैं इतने विश्वास के साथ कह रही हूँ क्यूंकि मैंने आज तक वही किया है जो मुझे करना था. घर पर लड़ी हूँ और उनको समझाया है. और वो समझ गए हैं.
अब बात ये कि किसी ऐसे के साथ शादी हो गयी जो नहीं समझे. तो भाई तब की तब देख लेंगे. अपने पैरों पे खड़े होने का दम है. ये जो हौव्वा बना दिया गया है शादी का, प्लीज भयभीत मत होइए. किसी का साथ चाहना, पूरी तरह से नॉर्मल बात है. जो भी insecurities हैं आपको, उनको फेस करने की हिम्मत रखिये.
नो, आई डू नॉट नीड टु गेट लेड. आई मीन आई डू वांट टु गेट लेड. पर प्रेम के बिना सेक्स हमसे नहीं होगा और ये मुझे महान या चूतिया दोनों में से कुछ नहीं बनाता. बस पर्सनल इंडिपेंडेंट चॉइस है. अपने बारे में पता है. जो बिना प्रेम के सेक्स कर लेते हैं, उनके लिए वही सही. मुझे किसी से कोई आपत्ति नहीं है. मुझे ज्ञान मत दीजियेगा की मैं कल्चरली कंडीशनिंग हूँ शादी के लिए. काफ़ी सोच-विचार के निर्णय लिया है.
लोग बिदक जाते हैं कि डीयू से है. काफ़ी बड़ा कारण है कि इसलिए सिंगल हूँ. इतनी जल्दी शादी भी नहीं करुँगी. कम से कम एक साल डेट करुँगी. बहुत सारे पचड़े हैं. बहुत OCD लेवल की प्लानर हूँ. अरेंज्ड मैरिज के लिए आये लड़के से फ़ोन पर पूछ लेती हूँ कि फैमिली प्लानिंग के बारे में क्या विचार है? अब ये पूछने के लिए सही वक़्त कब होता है जो मैं अरेंज्ड मैरिज के केस में पहले ही क्लियर ना करूँ. आपको जवाब मालूम हो तो बताइयेगा. लोगों को पीएचडी करने वाली लड़की नहीं चाहिए. इंजीनियर चाहिए. कमाऊ चाहिए. ब्ला ब्ला ब्ला. थोड़ी नहीं काफ़ी अजीब हूँ. आलसी हूँ. ज्ञानी हूँ. बहुत कुछ है.
अगर आप कल्चरल कंडीशनिंग की बात करेंगे तो मैं इंकार करुँगी. बस लिबरल हूँ. या कोशिश करती हूँ कि जितनी बुद्धि है उतनी लिबरल रहूँ. हाँ मुझे शादी की संस्था का लॉजिक नहीं समझ आता. शादी करने को ले के जो भी कारण समाज देता है, समाज या सरकार का जो इन्वॉल्वेमेंट शादी में होता है वो बेकार की बात लगती है. शादी बस दो लोगों के बीच की बात होती है असल में. या होनी चाहिए. मुझे लिव इन से भी परहेज़ नहीं है. पर मैं हमेशा लिव इन में भी नहीं रह सकती. ये है मेरी कल्चरल कंडीशनिंग. कई बार बेवकूफियां भी कर जाती हूँ. सब करते हैं. और अगर आप कुछ करते हैं तो वो सही या ग़लत कुछ भी हो सकता है. वो बाद में ही पता चलता है. पर बात यही है की मुझे शादी करनी है. आपको नहीं करनी मत करिए. अभी नहीं करनी अभी मत करिए. जब मन हो तब करियेगा. ना मन हो मत करियेगा. बस मुझे ये मत कन्विंस करियेगा कि शादी के बाद मेरी लाइफ ख़तम हो जाएगी. क्यूंकि होता वही है जो आप होने देते हैं.